श्रीनगर, 26 फरवरी: कश्मीरी नौजवानों के एक ग्रुप ने मोमबत्ती जलाकर एक एहतिजाजी मुज़ाहिरे का एहतिमाम करते हुए मर्कज़ी हुकूमत पर इस बात के लिए दबाव डाला कि पार्लियामेंट हमले के मुल्ज़िम अफ़ज़ल गुरु के अरकान ख़ानदान को मरहूम के आख़री रसूमात मज़हबे इस्लाम के मुताबिक़ अदा करने की इजाज़त दी जाये।
प्रेस एनक्लेव में अख़बारी नुमाइंदों से बात करते हुए ग्लोबल यूथ फ़ाउनडेशन ग्रुप के सदर नशीन तौसीफ रावना ने कहा इक्का वो हुकूमते हिन्द से अपील करते हैं कि वो अफ़जल गुरु के अरकान ख़ानदान को इस बात की इजाज़त दे कि वो मरहूम की आख़री रसूमात इस्लामी तर्ज़ पर अंजाम दे सकें।
अपनी बात जारी करते हुए उन्होंने कहा कि फांसी की सज़ा के लिए अफ़ज़ल गुरु के अरकान ख़ानदान को इस से पहले इत्तेला देने की अहमियत पर ग़ौर नहीं किया गया। ज़रा सोचिये कि फांसी दीए जाने के दो रोज़ बाद अरकान ख़ानदान को हुकूमत का मकतूब मिलता है जिस में फांसी दीए जाने की तारीख दो दिन पहले की है और जिस वक़्त अरकान ख़ानदान को पता चलता है उस वक़्त तक तिहाड़ जेल में ही फांसी देकर उस की तदफ़ीन भी अमल में आचुकी थी। उसूलन तो ये होना चाहीए था कि अफ़ज़ल गुरु की बीवी , इस के नौजवान बेटे और भाईयों को इस से मुलाक़ात की इजाज़त दी जानी चाहीए थी।
ग्लोबल यूथ फ़ाउनडेशन ने हुकूमत से अपील की कि इस मामले की तहकीकात करवाई जाये और ख़ुसूसी तौर पर इन आफ़िसरान के ख़िलाफ़ भी तहकीकात होनी चाहीए जिन के नाम अफ़ज़ल गुरु ने अदालती समाअत के दौरान ज़ाहिर किये थे। तौसीफ रावना ने मज़ीद कहा कि कम से कम फांसी दीए जाने के बाद मुर्दा जिस्म को अरकान ख़ानदान के हवाले किया जाना चाहीए था, ताकि उस की तजहीज़-ओ-तकफ़ीन इस्लामी रस्म-ओ-रिवाज के मुताबिक़ अदा की जा सकती।