अफ़्ग़ानिस्तान को सरहदों के पार से दहश्तगर्दी का ख़तरा

उलमाती, 26 अप्रैल (पी टी आई) हिन्दुस्तान ने आज कहा कि अफ़्ग़ानिस्तान को अपनी सरहदों के पार से दहश्तगर्दी के मुसलसल ख़तरे का सामना है और इलाक़ाई ममालिक से ख़ाहिश की कि इन कुव्वतों की वजह से उभरते ख़तरात को समझें और इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी की कोशिशों में शिद्दत पैदा करें ।

वज़ीर उमोर ख़ारिजा सलमान ख़ूर्शीद ने यहां काज़िक दार-उल-हकूमत में क़लब एशियाई वज़ारती कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए ये भी वाज़िह किया कि हिन्दुस्तान अफ़्ग़ानिस्तान को मसह बिकती रसा कुशी का मंतिक़ा नहीं समझता है और उसे इलाक़ाई तआवुन केलिए एक मौक़े पर देखना चाहता है ।

उन्होंने कहा कि अफ़्ग़ानिस्तान में अमन उसी वक़्त क़ायम होगा बशर्ते कि मुसाबक़त और हिक्मत-ए-अमली के माम‌ले में कोताह नज़रियात की जगह इस इलाक़े और माबाक़ी दुनिया के ममालिक की जानिब से इश्तिराक और मआशी सरमाया को मशग़ूल नहीं करदिया जाता।

उन्होंने कहा कि इस वीज़न की तकमील की सुई के दौरान हमें पस-ओ-पेश से काम नहीं लेना चाहीए , हम इस अमल के दौरन हाइल होने वाले सियासी और सिक्योरिटी मसाइल पर भी क़ाबू पा सकते हैं। हमें कोई शक नहीं कि अफ़्ग़ानिस्तान को दरपेश सब से बड़ा चैलेंज दहश्तगर्दी का ख़तरा है जो उसकी सरहदों के पार से उभरता है ।

अफ़्ग़ानिस्तान के बारे में ये मीटिंग इस्तंबोल मसाई का तीसरा क़लब एशिया-ए-वज़ारती सतह का इजलास है और इस में पड़ोसी इलाक़े के 14 और दीगर 16 ममालिक शिरकत कररहे हैं । उसकी 2014 में अफ़्ग़ानिस्तान से अमेरीका ज़ेर-ए-क़ियादत नैटो अफ़्वाज की मुजव्वज़ा वापसी के पस-ए-मंज़र में अहमियत बढ़ जाती है ।

ख़ित्ता में दीगर ममालिक बिलह्कुसूस हिन्दुस्तान दहश्तगर्दी के ख़तरे से हरगिज़ मुबर्रा नहीं , इस अमर की निशानदेही करते हुए ख़ूर्शीद ने कहा कि उलमाती आलामीया में उसोलों पर मबनी दयानतदाराना अह्द करना होगा कि अफ़्ग़ानिस्तान के मुस्तक़बिल केलिए ख़तरनाक इंतिहापसंदी और दहश्तगर्दी की इन कुव्वतों से दरपेश ख़तरात को ख़त्म किया जाएगा।