अफ़्ग़ानिस्तान पर कान्फ्रेंस

हिंदूस्तान ने अफ़्ग़ानिस्तान में ख़ानगी शोबा की बैन-उल-अक़वामी (अंतर्राष्ट्रीय) सरमाया कारी (investor’s/ निवेशको) को फ़रोग़ देने के लिए बहुत जल्द कान्फ्रेंस मुनाक़िद ( आयोजित सम्मेलन) करने का फ़ैसला एक ऐसे वक़्त किया है जब चीन भी अफ़्ग़ानिस्तान में अहम रोल अदा करने का अहद कर चका है।

सदर अफ़्ग़ानिस्तान हामिद करज़ाई की बीजिंग में जुमा के दिन सदर चीन हो जिंतो (Hu Jintao) से मुलाक़ात को ग़ैरमामूली एहमीयत दी जा रही है। अमेरीका को इस मुलाक़ात ने मुज़्तरिब ( बेचैन/ व्याकुल) कर दिया है मगर एक जंग ज़दा मुल्क में सनअत-ओ-तिजारत के शोबा को मुस्तहकम करने के लिए दुनिया का हर मुल़्क अपना फ़रीज़ा (फर्ज़) पूरा करना चाहता है तो इस पर कोई एतराज़ नहीं होना चाहीए।

अफ़्ग़ानिस्तान इस वक़्त एक संगीन और नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है, इस मुल्क को अपने तमाम हमसाया ममालिक (पड़ोसी देशों) के साथ दोस्ताना ताल्लुक़ात को फ़रोग़(तरक्की) देने के इलावा तामीर नौ और सरमाया कारी के मौक़े पैदा करने और तलाश करने होंगे, हिंदूस्तान की मुजव्वज़ा ( तै किया हुआ) कान्फ्रेंस भी एहमीयत की हामिल है।

अमेरीका भी यही चाहता है कि अफ़्ग़ानिस्तान में सरमाया कारी हो तो इसे नई दिल्ली में 28 जून को मुनाक़िद (आयोजित) होने वाली कान्फ्रेंस से नेक तवक़्क़ुआत वाबस्ता करने होंगे। अफ़्ग़ानिस्तान में ख़ानगी सरमाया कारी को फ़रोग़ ( उन्नती) देते हुए वहां के बुनियादी मसाइल ( समस्या) हल कर लिए जा सकते हैं।

इसके इलावा सरहदी सलामती से लेकर अमराज़ पर क़ाबू पाने जैसे इक़दामात के लिए हमसाया मुल्कों का तआवुन ( मदद) ज़रूरी है। इसमें दो राय नहीं कि दहशतगर्दी से निमटने/ निपटने के लिए इन दिनों हर मुल़्क अपनी जानिब से हर मुम्किना कोशिश कर रहा है।

अफ़्ग़ानिस्तान को भी दहशतगर्दी के साथ साथ मुनश्शियात की मुंतक़ली पर क़ाबू पाने, क़ौमी इस्तेहकाम ( मजबूती) की हिफ़ाज़त की फ़िक्र है।

चीन ने इस ख़सूस में अपने तआवुन (मदद) की पेशकश की है तो इस हवाले से वो अफ़्ग़ानिस्तान के क़ुदरती वसाइल (साधन) पर नज़र रख रहा है तो इसके ज़रीया सरमाया कारी भी होगी और नई दिल्ली में मुनाक़िद ( आयोजित) होने वाली अफ़्ग़ान सरमाया कारी(investor’s/ निवेशक) कान्फ्रेंस अफ़्ग़ानिस्तान और बैन-उल-अक़वामी इदारों ( अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों) के माबैन तिजारत की रास्त राहें हमवार( स्वीकार) करने में मुआविन (मददगार) होगी।

अमेरीका और हिंदूस्तान ने एक मुस्तहकम (मजबूत/ताकतवर) अफ़्ग़ानिस्तान और इसके लिए ख़ुशहाल मुस्तक़बिल ( भविष्य/ Future) का मंसूबा( योजना) बनाया है तो इसे मआशी (आर्थिक) तौर पर मज़बूत बनाने के लिए नई दिल्ली की मुजव्वज़ा कान्फ्रेंस ( आयोजित सम्मेलन) को कामयाब बनाना चाहीए।