रूस ने अपने साबिक़ हलीफ़ मुल़्क अफ़्ग़ानिस्तान में ऐसे मौक़ा पर अमन अमल की हिमायत का ऐलान किया है जब अफ़्ग़ान फ़ौज का एक पैंतालीस रुक्नी दस्ते तर्बीयती मिशन के लिए रूस रवाने हुआ है। काबुल और मास्को माज़ी में दिफ़ाई और इक़्तेसादी निगाह से तवील अर्से तक एक दूसरे के ख़ासे क़रीब रहे हैं।
अफ़्ग़ानिस्तान में चौदह बरस क़ब्ल अमरीका और इस के मग़रिबी दिफ़ाई इत्तिहाद नैटो के दस्तों की आमद के बाद से वहां रूस के असर और रुसूख़ में ख़ासी कमी वाक़े हुई है।
काबुल में रूस के सफ़ीर अलक़िसानिडर मानतीसकी ने गुज़िश्ते रोज़ कहा कि उनका मुल्क अफ़्ग़ानिस्तान में एक ऐसे सियासी तसफ़ीए का हामी है जो पुरअमन तरीक़े से तनाज़े का खात्मे मुम्किन बनाए, हमारी नज़र में जंग इस मसले का हल नहीं, इसी लिए हम अमन अमल की हिमायत करते हैं, हमारी नज़र में अफ़्ग़ान क़ियादत में इस अमल को आगे बबढ़ाना चाहिए ताके हुकूमत और तालिबान के माबैन तसफ़ीए मुम्किन हो सके।
उनका ये बयान इस हवाले से खासे अहमीयत का हामिल है कि साबिक़ अफ़्ग़ान सदर हामिद करज़ई ने अफ़्ग़ान अमन अमल पर काम करने वाले चहार फ्रीकी ग्रुप में रूस, ईरान और भारत को भी शामिल करने की तजवीज़ पेश की है।