अफ़्ग़ानिस्तान की आला अमन कौंसिल के तर्जुमान मौलवी शहज़ादा शाहिद ने बताया है कि अफ़्ग़ान हुकूमत और तालिबान के दरमयान मुज़ाकरात का आइन्दा दौर माहे रवां के आख़िर में मुनाक़िद हो सकता है। ताहम उन्हों ने कहा कि इस सिलसिले में आखरी फ़ैसला होना अभी बाक़ी है।
उन्हों ने ये भी नहीं बताया कि मुज़ाकरात का ये दौर किस मुल्क में मुनाक़िद होगा। ताहम ज़राए का कहना है कि अफ़्ग़ान हुकूमत और तालिबान के दरमयान जुलाई के आख़िर में होने वाले मोज़ाकरात पाकिस्तान में नहीं होंगे।
आला अमन कौंसिल के तर्जुमान का कहना है कि मोज़ाकरत के दूसरे दौर में जंग बंदी पर बात होनी चाहिए और जंग बंदी एतेमाद साज़ी के क़ियाम में अहम क़दम साबित हो सकती है।
इस से क़ब्ल अफ़्ग़ान हुकूमत और तालिबान के दरमयान मुज़ाकरात का पहला दौर पाकिस्तान के स्याहती मुक़ाम मरी में हुआ था। सात जुलाई को होने वाले मोज़ाकरत में तालिबान की जानिब मुल्ला अब्बास अखुंद, अब्दुल लतीफ़ मंसूर और हाजी इब्राहीम हक़्क़ानी शरीक थे।