नसरीन अंसारी उम्र 21 साल को एक कमयाब बीमारी स्टीवनस जॉनसन सिंड्रोम लाहक़ हो गई जिस की वजह से इस के आँनसुवो के ग़दूद ख़ुशक हो गए थे। के बी ऐम हॉस्पिटल के डाँक्टरों ने तामीर जदीद की एक सर्जरी करते हुए मरीज़ के मुंह के दाख़िली हिस्सा की पैवन्दकारी की ताकि मरीज़ की आँखों को रतूबत हासिल होसके।
ये मर्ज़ दवाओ के रीऐक्शण का नतीजा है। इस के आग़ाज़ में अनफ़लवाइनज़ा जैसी अलामत ज़ाहिर होती है। इस के बाद आँखों में सुर्ख़ी पैदा होजाती है और दर्द होने लगता है। बाअज़ औक़ात सुर्ख़ी के बजाय क़िरमज़ी रंग के धब्बे पैदा होते हैं। ये रंग फैलता है और जल्द की बालाई परत मुर्दा होकर झड़ जाती है।
नसरीन अंसारी के मसाइब का आग़ाज़ उस वक़्त हुआ जब इस ने फ़लू की दवा इस्तिमाल की थी। इस ने कुर्ला (मुंबई) के एक हकीम से ईलाज करवाया था। इस दवा पर फ़ौरी रीऐक्शण हुआ और इस के पूरे जिस्म पर चुकते फैल गए। आँखें भी इन से महफ़ूज़ नहीं थीं। मरीज़ की बहन शाहीन अंसारी ने कहा कि इस की बहन को दर्द की वजह से भी बहुत तकलीफ़ थी।
ये बीमारी उस की आँखों के आनसोओ के ग़दूद ख़ुशक(सूखी) होजाने का नतीजा थी। इबतदा-ए-में आँखों के सर्जनों ने इस की आँखों में रतूबत बरक़रार रखने के लिए आँखों में अमनिया टिक झिल्ली की पैवन्दकारी की ताहम ऑप्रेशन कामयाब नहीं रहा। इस के बाद डाँक्टरों ने एक नई टेक्निक आज़माई और इस के मुंह के दाख़िली हिस्से में इस तरह पैवन्दकारी की गई कि इस का लुआब दहन आँखों में मुंतक़िल होसके चुनांचे अब उस की आँखों से आनसोओ के बजाय लुआब दहन ख़ारिज होता है।
के ई ऐम हॉस्पिटल के शोबा अमराज़-ए-चश्म के सरबराह डाँक्टर अर्जुन आहूजा ने एतिमाद ज़ाहिर किया कि इस तरह मरीज़ को मदद मिलेगी, ताहम बाअज़ डाँक्टरों का कहना है कि इस तरह की पैवन्दकारी अच्छी चीज़ नहीं है। कोह-ए-नूर हॉस्पिटल कुर्ला (मुंबई) के माहिर अमराज़-ए-चश्म डाँक्टर दर्शन चुडगर का कहना है कि इस ऑप्रेशन के असरात हमेशा अच्छे नहीं होते, नताइज ख़तरनाक भी बरामद होसकते हैं।