आंधरा प्रदेश काबीना में तौसीअ

आंधरा प्रदेश काबीना में साबिक़ा प्रजा राज्यम के दो अरकान की शमूलीयत के साथ ही इख़तेलाफ़ात का आग़ाज़ हो चुका है । इलाक़ा वारी तास्सुब के इल्ज़ामात एक बार फिर शिद्दत से आइद किए जाने लगे हैं और एक वज़ीर डाक्टर शंकर राव को काबीना से बरतरफ़ करने से हालात मज़ीद अबतर होने के अंदेशे ज़ाहिर किए जाने लगे हैं।

कांग्रेस पार्टी में प्रजा राज्यम में इंतेमाम के वक़्त दोनों जमातों में जो मुआहिदा हुआ था इस को अमली जामा पहनाते हुए कांग्रेस ने साबिक़ा प्रजा राज्यम के दो क़ाइदीन को काबीना में शामिल किया है । एक रुकन असेंबली और एक रुकन क़ानूनसाज़ कौंसल को काबीना में जगह दी गई है हालाँकि एम एल सी मिस्टर सी रामचंद रिया की शमूलीयत को रोकने की ख़ुद कांग्रेस और प्रजा राज्यम के बाअज़ क़ाइदीन की जानिब से मुसलसल कोशिशें की गई थीं लेकिन हाईकमान ने इन कोशिशों को मुस्तर्द करते हुए चिरंजीवी के मुतालिबा को तस्लीम करते हुए उन्हें बिल आख़िर काबीना में शामिल कर ही लिया गया ।

चीफ मिनिस्टर मिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने इस मौक़ा से फ़ायदा उठाते हुए मज़ीद कुछ वुज़रा को काबीना में शामिल करने और कुछ उसे वुज़रा को अलैहदा करने का भी मंसूबा तैयार किया था जो उन के मुताबिक़ गैर कारकर्द हैं ।

ताहम हाईकमान ने रियासती कांग्रेस को दरपेश हालात को पेश नज़र रखते हुए सिर्फ प्रजा राज्यम के दो अरकान की शमूलीयत की इजाज़त दी ताकि हालात को मज़ीद बिगड़ने से बचाया जा सके । हाईकमान को ये एहसास था कि काबीना में तो सेव और बड़े पैमाने पर क़लमदानों मेंरद-ओ-बदल कांग्रेस पार्टी के लिए ठीक नहीं होगी और इख़तेलाफ़ात का नया दौर शुरू हो सकता है जिस की फ़िलहाल पार्टी मुतहम्मिल नहीं हो सकती ।

ताहम सिर्फ़ प्रजा राज्यम के अरकान की शमूलीयत ने भी इख़तिलाफ़ात को हवा दी है ।

तेलंगाना से ताल्लुक़ रखने वाले कांग्रेस क़ाइदीन ने इस तौसीअ में एक बार फिर तेलंगाना से नाइंसाफ़ी का इल्ज़ाम आइद किया है और कहा कि अलैहदा रियासत के मुतालिबा पर तेलंगाना के कुछ वुज़रा ने इस्तीफ़े दिए थे और हुकूमत ने यह फिर कांग्रेस हाईकमान ने उन पर तलंगाना के दूसरे क़ाइदीन को मुक़र्रर करते हुए इन क़लमदानों को पूरा करने से गुरेज़ किया है ।

ये दर असल तेलंगाना क़ाइदीन के मुंह पर तमांचा है और कांग्रेस की जानिब से तेलंगाना और तेलंगाना से ताल्लुक़ रखने वाले क़ाइदीन के साथ रवा रखी जाने वाली मुसलसल नाइंसाफ़ीयों का ही सिलसिला है ।
कांग्रेस पार्टी इन इल्ज़ामात पर कोई वाज़िह जवाब देने के मौक़िफ़ में नहीं है ।

प्रजा राज्यम अरकान की शमूलीयत के बाद अब कांग्रेस गोशों की जानिब से कहा जाने लगा है कि अनक़रीब रियासती काबीना में मज़ीद तौसीअ करते हुए ख़ाली वज़ारतों को पर किया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने मुख़्तलिफ़ कार्पोरेशनों और सरकारी बोर्डज़ में भी तक़र्रुत से गुरेज़ क्या हुआ है और ये बात भी पार्टी क़ाइदीन को नाराज़ करने का सबब बन रही है ।

हुकूमत और पार्टी हाईकमान इस का नोट लेने को क़तई तैयार नहीं है और ऐसा तास्सुर दिया जा रहा है कि उसे तलंगाना से ताल्लुक़ रखने वाले क़ाइदीन और अरकान असेंबली की नाराज़गी की कोई परवाह नहीं है।

हुकूमत और कांग्रेस पार्टी के रवैय्या से एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस में नाराज़गियों में शिद्दत पैदा हो सकती है । वज़ीर टेक्स्टाईल्स डाक्टर शंकर राव को काबीना से बरतरफ़ कर दिया गया है और ये बरतरफ़ी भी यक़ीनी तौर पर इलाक़ा वारी तास्सुब को फ़रोग़ दे सकती है हालाँकि इस का ताल्लुक़ इलाक़ा वारीयत से हरगिज़ नहीं है ।

शंकर राव के चीफ मिनिस्टर मिस्टर किरण कुमार रेड्डी के साथ इख़तिलाफ़ात कोई ढकी छिपी हुई बात नहीं थी और वो दीगर वुज़रा पर भी मुसलसल तन्क़ीदों से बाज़ नहीं आ रहे थे । वो खासतौर पर वज़ीर दाख़िला सबीता इंदिरा रेड्डी को निशाना बनाए हुए थे और उन पर संगीन इल्ज़ामात आइद करते जा रहे थे ।

इस तर्ज़ अमल को कांग्रेस पार्टी ने क़तई क़बूल नहीं किया और काबीना में मौजूदगी के बावजूद डाक्टर शंकर राव को एक तरह से यक्का-ओ-तन्हा कर दिया गया था । काबीना में भी इन से कोई मश्वरे नहीं हो रहे थे और उन्हें अमला अछूत क़रार देते हुए उन से तर्क-ए-ताल्लुक़ ही कर लिया गया था । इस बरतरफ़ी के बाद शंकर राव एसा नहीं लगता कि ख़ामोश बैठ जाएंगे ।

वो यक़ीनी तौर पर का बीनी वुज़रा और दीगर के ख़िलाफ़ अपनी सरगर्मियों को ना सिर्फ जारी रखेंगे बल्कि इन में मज़ीद इज़ाफ़ा भी करेंगे । वो वज़ीर दाख़िला पर संगीन इल्ज़ामात के इलावा दीगर वुज़रा पर भी कुरप्शन और बदउनवानीयों के इल्ज़ामात आइद कर रहे हैं।

एक तरफ़ तेलंगाना कांग्रेस क़ाइदीन की नाराज़गी दूसरी जानिब कार्पोरेशंस और बोर्डज़ में तक़र्रुत से गुरेज़ और फिर एक वज़ीर की बरतरफ़ी की वजह से रियासती हुकूमत और कांग्रेस पार्टी की मुश्किलात में इज़ाफ़ा ही हो सकता है । प्रजा राज्यम अरकान की काबीना में शमूलीयत ने एक तरह से हुकूमत केलिए मुश्किलात का आग़ाज़ कर दिया है और देखना ये है कि हुकूमत इन मुश्किलात से किस तरह से निमटती है ।

काबीना में कल हुई तौसीअ से ये भी वाज़िह होगया है कि ख़ुद चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी को भी अपनी काबीना की तशकील और वुज़रा के इंतेख़ाब का अमला इख़तेयार हासिल नहीं है और इस ताल्लुक़ से भी फैसला दिल्ली दरबार से ही किया जाता है ।

रियासत के हालात और अवामी मसाइल की बजाय हाईकमान सयासी मसलिहतों का शिकार होकर इस ताल्लुक़ से फैसले करती है जो किसी भी हाल में अवाम यह रियासत के मुफ़ाद में नहीं हो सकते । इन हालात में काबीना में महिदूद तौसीअ के आइन्दा दिनों में मनफ़ी असरात मुरत्तिब होने के अनुदेशों को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता।