आइएएस अफसर तक को हटवा देता है ताकतवर गिरोह

उत्तर प्रदेश की आइएएस अफसर दुर्गा नागपाल ने जब कान कुनी माफिया के खिलाफ कार्रवाई की, तो एक्तेदार तक पहुंच रखनेवाले माफिया ने किसी और बहाने से उन्हें मूअतिल करवा दिया। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है।

झारखंड के राजमहल में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) में जब बिचौलियों, हुक्काम और बैंकों की मिलीभगत से हो रहे घोटाले पर एसडीएम (मौजूदा) राजीव रंजन (आइएएस) ने कार्रवाई की, बिचौलिये को पकड़ा, सनाह दर्ज करायी तो उन्हें हौसला करने की जगह तबादला कर दिया गया। खबर तो यह भी है कि वहां के मौजूदा डीसी अशोक शर्मा भी एसडीएम के खिलाफ हो गये और उनके खिलाफ रिपोर्ट कर दी।

मामला साहिबगंज के राजमहल डिवीजन में केसीसी क़र्ज़ की गड़बड़ी का है। क़बायली, पहाड़िया, दर्ज़ फेहरिस्त जाति, खासकर दियारा इलाक़े के लोगों के नाम पर केसीसी क़र्ज़ की इंखला की गयी है। इसमें कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें पता भी नहीं कि उनके नाम से लोन निकाला गया है।

इस तरह केसीसी क़र्ज़ में करोड़ों की हेराफेरी हुई है। इस खेल में बिचौलिये, बैंक, ब्लॉक और जिला सतह तक एक मजबूत नेटवर्क हावी है। इनकी सियासतों से सांठगांठ है। जो ईमानदार अफसर इस नेटवर्क में हाथ लगाता है, वह वहां टिक नहीं सकता, भले ही वह आइएएस अफसर ही क्यों न हो।
कुछ महीने पहले राजमहल के एसडीएम राजीव रंजन ने मंगलाहाट के एक बैंक में केसीसी क़र्ज़ को लेकर छापेमारी की, गड़बड़ी पकड़ी, एफआइआर करवाया। एक बिचौलिये को तो जेल भी भेजा गया। पर उन्हें वहां से हटा दिया गया। मिस्टर रंजन अभी गढ़वा में एसडीएम हैं।