तेलंगाना के शहरीयों को आने वाले गर्मा में बर्क़ी की सरबराही के सिलसिले में दुशवारीयों का सामना करना पड़ सकता है और बर्क़ी शोबा के ओहदेदारों के मुताबिक़ आने वाला मौसिम-ए-गर्मा इस दहिय का सब से सख़्त तरीन गर्मा होगा क्युंकि महिकमा बर्क़ी अपने बोहरान के सबब मूसिर अंदाज़ में बर्क़ी सरबराही से क़ासिर रहेगा।
रियासत तेलंगाना की तशकील के बाद से ही उसे बर्क़ी के शोबे में बोहरान का सामना है और दिन बह दिन बर्क़ी कटौती के औक़ात में इज़ाफ़ा ही होरहा है।
देही इलाक़ों में बर्क़ी की सरबराही का हाल इंतिहाई अबतर है तो दूसरी तरफ़ शहरी इलाक़े भी इस सूरत-ए-हाल से मुतासिर है। शहरी इलाक़ों में फ़िलवक़्त 4 घंटे बर्क़ी कटौती पर अमल किया जा रहा है ताहम अप्रैल से 6 घंटे कटौती का इमकान है क्युंकि ज़रई सरगर्मीयों के तहत रबी की फ़सल की तैयारीयां उरूज पर होंगी।
बर्क़ी ओहदेदारों का कहना हैके फसलों को नुक़्सान से बचाने के लिए सनअती और घरेलू सारिफ़ीन के लिए कटौती में इज़ाफे पर ग़ौर किया जा रहा है इस के बावजूद ज़रई शोबा के लिए बर्क़ी की रोज़ाना 7 घंटे सरबराही दुशवार कुन होगी।
रियासत की तक़सीम के बाद से तेलंगाना बर्क़ी की पैदावार के सिलसिले में मसाइल का शिकार है और तलब और पैदावार में काफ़ी फ़र्क़ है। तेलंगाना हुकूमत ने मर्कज़ी हुकूमत से एन टी पी सी के तहत बर्क़ी के हुसूल की मसाई की इस के अलावा पड़ोसी रियासतों से भी बर्क़ी की ख़रीदी के इक़दामात किए गए लेकिन ये कोशिशें अभी तक सूदमंद साबित होती दिखाई नहीं दे रही हैं।
बताया जाता हैके 800 मैगावाट बर्क़ी तैयारी के कृष्णा पटनम थर्मल पावर प्लांट में बहुत जल्द बर्क़ी की तैयारी के आग़ाज़ से हुकूमत को उम्मीद बंधी हैके बर्क़ी के मौजूदा बोहरान में कमी होगी ताहम बर्क़ी शोबा के ओहदेदारों का कहना हैके इस से तेलंगाना रियासत को बहुत कम फ़ायदा होगा।