आइये ट्रोल के बारे में बात करें| मेरे पिता ने वास्तविक गोलियां खायी थी और मैं घृणा की गोलियां ले सकती हूँ: गुरमेहर कौर

कुछ लोगो के लिए मैं मज़ाक बन गयी हूँ । आप मे से बहुतो के लिए मैं एक खिलौना बन गयी हूँ जसिके साथ आप खेल सकते हैं । आप मुझे धमकाते हैं और मुझे डराने की कोशिश कर रहे हैं। एक फोटो मे आपने मेरे माथे पर सिंदूर लगा दिया और उसे राम मंदिर की बात करने के लिए इस्तेमाल किया। आपके पास अपने लाखो एजेंडा हैं ।

आपने एक बार भी मुझे ट्रोल करने से पहले नहीं सोचा। आप नहीं जानते की मे कौन हूँ और मैं किन परिस्थितियों से गुज़री हूँ । आप सिर्फ यह जानते हैं की दुसरो का मज़ाक कैसे बनाया जाता है, चाहे वो एक साधारण कॉलेज जानी वाली छात्रा ही क्यों न हो। आप चाहते हैं की मेरा बलात्कार हो और मुझे भी दिल्ली की ‘निर्भया’ जैसी मौत मिले । क्या आप अपने फेसबुक या ट्विटर पर मेरी बेइज़ती करने से पहले एक बार भी सोचते हैं ?

आप सोचते हैं की मैं राष्ट्र विरोधी हूँ क्यूंकि मैं पकिस्तान के साथ शांति की बात करती हूँ । आप मुझे राष्ट्र विरोधी कहते हैं क्यूंकि मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन से नहीं डरती। आप मुझे हर तरीके से डराने की कोशिश कर रहे हैं क्यूंकि मे यह मानती हूँ और मानती रहूंगी की छात्र संघ को हिंसा करने का कोई अधिकार नहीं है। आप मुझ पर मेरे ही पिता के त्याग का इस्तमाल करने का आरोप लगते हैं ।

मैं आप लोगो को अपने बारे मे कुछ बताना चाहती हूँ, हलाकि मैं किसी की भी जवाबदेही नहीं हूँ । अगर मैं यह कर रही हूँ तो सिर्फ इसलिए ताकि शायद आप समझ सकें की किसी अजनबी को जो मेरी तरह दृढ़ न हो उसे आप कैसे आघात पहुंचा सकते हैं। आप लोगो ने मेरे दिमाग की खिड़कियों को और खोल दिया है।  मैं एक खुशमिज़ाज कॉलेज छात्रा थी जिसके ट्विटर पर केवल 30 अनुयायियों थे। मुझे ‘किरेन रिजुजा’ के बारे मे तब तक नहीं पता था जब तक मैंने उन्हें गूगल पर नहीं ढूंढा था। मैं यह देख कर आश्चर्य चकित हो गयी की देश का एक नेता मेरा मज़ाक उड़ा रहा है । ‘रणदीप हूडा’ जिन्हे बाकि लड़कियो की तरह मे भी पसंद करती थी उन्होंने भी इमोजी का इस्तेमाल कर मेरा मज़ाक बनाया । क्यों? क्यूंकि मैंने कहा की पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा परन्तु युद्ध ने उन्हें मारा है।

‘रिजुजा’,’हूडा’ और अनेक लोग जिन्होंने मुझे ट्रोल किया था उनके लिए मैं फिर से कहती हूँ: मैं पाकिस्तान के साथ शांति चाहती हूँ । मैं नहीं चाहती की और बच्चे अनाथ हों। मैंने मौत को बहुत पास से और बहुत ही छोटी उम्र मे देखा है।

मैं केवल 2 साल की थी जब मेरे पिता की मृत्यु हो गयी । मेरे पास कुछ धुंदली यादें हैं जिनमे मेरे पिता कॉफिन मे लेटे हुए थे और उनकी छाती पर पट्टी बंधी हुई थी । मैंने अपनी माँ से कई बार पूछा की पिताजी सो क्यों रहे हैं। क्या यह एक सपना है ? मैंने पूछा । उन्होंने मुझे तकलीफ से बचाने के लिए सर हिला दिया । एक माँ अपनी 2 साल की बच्ची को कैसे मौत का मतलब समझा सकती है। मैं यह सब आपकी सहानुभूति पाने के लिए नहीं बोल रही हूँ।

मैंने अपने डरो पर अपनी माँ की मदद से विजय प्राप्त करी। उन्होंने मुझे टेनिस अकडेमी मे डाल दिया और 13 वर्ष की उम्र मे मैं पंजाब की स्टेट टीम मे शामिल हो गयी। इसके साथ सामान जुड़ा हुआ था।

अपने पिता को खोना मेरे लिए एक बहुत दुखद घटना थी । आप नहीं जानते की मैं किन हालातो से गुज़री। मैं दर्द के साथ बड़ी हुई । आज कल ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल आम बात हो गयी है । यह अब आम बात है क्योंकि इससे ‘राष्ट्रवादी’ धारणा को मदद मिलती है। मुझसे पूछो और मैं यही कहूँगी: मैं दर्द के साथ जी हूँ और मैं नहीं चाहता कि सैनिक शहीद हो ताकि आप अपने राष्ट्रवाद को साबित कर सकें। आप सेनिको के शवों का अपने झूठे-राष्ट्रवाद का प्रचार करने के लिए इस्तेमाल न करें ।

जब आप मे से कई लोगो मेरे पिता को बीच मे ले आये तो मुझे तकलीफ पहुंची। यह हर बीते क्षण को वापिस ले आया पर मैंने खुद को शांत कर लिया। मैं समझदार हूँ । मैं आरतो ( मेरी माँ और बहन) से घिरी हूँ जो इस बात मे गर्व मह्सूस करते हैं की उनके अपने विचार हैं । फेमिनिज्म और समानता मेरे लिए विचार नहीं है, मैं इन्हे जीती हूँ ।

असली गोलियों ने मेरे पिता को मारा था और आपकी नफरत की गोलियां मेरे संकल्प को और मज़बूत कर रहीं है। आपका राष्ट्रवाद का विचार झूठा और गलत है । मेरी भारत – पाकिस्तान शांति वीडियो पिछले साल आयी थी जब उसपर लोगो ने गौर फ़रमाया था पर तब मुझे किसी ने राष्ट्र विरोधी नहीं कहा । आज मैं राष्ट्र-विरोधी हो गयी क्यूंकि मैंने आपके छात्र संघ पर सवाल उठा दिए ।

‘सेहवाग’ और ‘हूडा’ जैसी शख्शियतों को यह समझना चाहिए की किसी को भी उस तकलीफ से नहीं गुज़ारना चाहिए जिससे मैं गुज़री हूँ। मुझे अपने पिता के बारे मे सोचने के लिए उनकी आवश्यकता नहीं है ।  मैं जेनयू के छात्र ‘उम्र खालिद’ के ‘अफ़ज़ल गुरु’ पर दिए गए बयान का समर्थन नहीं करती , तो मुझे वर्णित करने की कोशिश न करें।

मैं अब एक ट्रोल विरोधी सैनिक हूं और मैं लड़ती रहूंगी। मैं गलत और सही मे अंतर जानती हूँ।