आईआईएम को अधिक स्वायत्तता देने वाला विधेयक पारित, अब प्रबंधन बोर्ड के निदेशक और अध्यक्षों की नियुक्ति भी कर सकेंगे

नई दिल्ली : भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) को अधिक स्वायत्तता देने के लिए भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक, 2017 को संसद की मंजूरी मिल गई है। मंगलवार को राज्यसभा में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, 2017 को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। लोकसभा में ये विधेयक जुलाई में ही पारित हो चुका है। भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक, 2017 पास होने के साथ ही आईआईएम संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व की संस्थाएं घोषित करने का रास्ता साफ हो गया है।

राज्यसभा से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, 2017 के पास होने के बाद आईआईएम के पास अब छात्रों को डिप्लोमा के स्थान पर डिग्री देने का अधिकार होगा। इतना ही नहीं अब आईआईएम, प्रबंधन बोर्ड के निदेशक और अध्यक्षों की नियुक्ति भी कर सकेंगे। स्वायत्तता के साथ-साथ इनकी अपनी जवाबदेही भी होगी।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, 2017 के उच्च सदन से पास होने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इससे आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिल जायेगा। इसके अलावा इन संस्थानों को स्वायत्तता भी मिल जाएगी जिससे छात्रों को डिप्लोमा की जगह डिग्री दिए जा सकेंगे।

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि डिप्लोमा की जगह डिग्री मिलने का सीधा फायदा उन छात्रों को होगा जो दूसरे देशों में मैनेजमेंट के क्षेत्र में पीएचडी के चाहत रखते हैं। वर्तमान स्थिति में डिप्लोमा धारक होने की वजह से ऐसे छात्रों को बड़े और अग्रणी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पीएचडी में दाखिला नहीं मिल पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पीएचडी में दाखिला लेने के लिए डिग्री की जरूरत होती है।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के राज्यसभा में दिए गए जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। फीस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इस पर सदन के सदस्यों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। किसी भी गरीब छात्र को दाखिले से वंचित नहीं किया जाएगा। इस संस्थानों में छात्रों के लिए फीस कोई मुद्दा नहीं होगी और छात्रों को ब्याज मुक्त लोन मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यह एक नई शुरूआत है और जिससे संस्थानों को डिग्री देने का अधिकार मिल सकेगा।