चीफ़ जस्टिस इफ़्तिख़ार चौधरी ने कहा है कि पार्लियामेंट ऐसी क़ानूनसाज़ी नहीं कर सकती जो आईन (संविधान) और बुनियादी क़वानीन (क़ानून) से मुतसादिम हो ऐसे क़वानीन (क़ानून) बनाए गए तो सुप्रीम कोर्ट के पास अदालती नज़रसानी का मुतबादिल मौजूद है।
ईस्लामाबाद में नौजवान अरकान-ए-पार्लियामेंट के वफ़द के साथ मुलाक़ात में चीफ़ जस्टिस ने कहा कि पार्लियामेंट को ऐसे क़वानीन (क़ानून) बनाने चाहिऐं जिन पर अमल किया जा सके।
पार्लियामेंट ऐसी क़ानूनसाज़ी नहीं कर सकती जो इस्लाम, आईन (संविधान) और बुनियादी क़वानीन (क़ानून) से मुतसादिम हों अगर ऐसे क़वानीन (क़ानून) बनाए गए तो सुप्रीम कोर्ट के पास अदालती नज़र-ए-सानी का मुतबादिल मौजूद है।