आई ऐस आई और अमरीका

पाकिस्तान की क़ियादत अगर कोई फ़ैसले करने की सलाहीयत से आरी होने का यूं ही मुज़ाहरा करती रहे तो अमरीका एक दिन इस मुल्क का भी वही हश्र करने का फ़ैसला करलेगा जो इराक़-ओ-अफ़्ग़ानिस्तान का हुआ है। साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ की बाअज़ पालिसीयों और चंद फ़ैसलों की वजह से पाकिस्तान की आज जो कुछ हालत है वो किसी से पोशीदा नहीं है। अमरीका ने पाकिस्तान की खु़फ़ीया एजैंसी आई ऐस आई के बारे में इज़हार-ए-ख़्याल करके हिंदूस्तान की देरीना राय को मज़बूत किया है मगर इस से कोई सबूत तलाश करने की कोशिश नहीं की गई। आई ऐस आई के मसला पर ही वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान ने अमरीका को आँखें दिखाने की जुर्रत की है और वाशिंगटन का दौरा करनेवाली अपनी वज़ीर-ए-ख़ारजा हिना रब्बानी खुर को दौरा मुख़्तसर करके पाकिस्तान तलब करलिया। पाकिस्तानी जासूसी इदारा आई ऐस आई के दहश्तगर्द ग्रुप हक़्क़ानी नट वर्क से रवाबित के बारे में पनटगान के तर्जुमान जान केर बे का ब्यान दोनों मुल्कों के दरमयान कशीदगी की आग में तेल का काम कर गया। जान केर बे ने कहा था कि आई ऐस आई और इंतिहापसंद ग्रुपों के दरमयान देरीना तारीख़ी ताल्लुक़ात पाए जाते हैं। ख़ुसूसी एन्टुली जिन्स मालूमात के मुताबिक़ अमरीका का इद्दिआ है कि इस के पास ऐसे सबूत मौजूद हैं जिस से पता चलता है कि पाकिस्तान में हक़्क़ानी नट वर्क को सरकारी खु़फ़ीया एजैंसी की सरपरस्ती हासिल ही। इस मसला पर अमरीका और पाकिस्तान के आला ओहदेदारों के दरमयान शदीद रसा कुशी चल रही थी। अमरीकी चेयरमैन जवाइंट चीफ़ आफ़ स्टाफ़ मेक मेलविन ने भी हक़्क़ानी नट वर्क को आई ऐस आई का दूसरा नाम क़रार दिया था और ये नट वर्क एक अहम आला कार के तौर पर काम कररहा ही। अफ़्ग़ानिस्तान में हालिया हुए बम धमाकों में हक़्क़ानी नट वर्क के मुलव्वस होने का शुबा किया जाय तो अमरीका सिर्फ़ शुबा की असास पर पाकिस्तान के साथ अपने देरीना ताल्लुक़ात को ख़राब करने की हमाक़त नहीं करसकता क्योंकि उसे अफ़्ग़ानिस्तान में अपनी बक़ा की जंग जीतने के लिए पाकिस्तान की मदद ज़रूरी ही। वर्ना वो पाकिस्तान के बगै़र अफ़्ग़ानिस्तान से निकलने के बारे में मुकर्रर ग़ौर करेगा हालिया बम धमाकों और तालिबान की कार्रवाई में बुरहान उद्दीन रब्बानी की हलाकत के बाद ये तो पता चल चुका है कि अफ़्ग़ानिस्तान ने गुज़श्ता 10 साल की फ़ौजी कार्रवाई के बावजूद तालिबान ग्रुप पर क़ाबू पाने में कामयाब नहीं हुआ अब इस नाकामी को पोशीदा रखने की कोशिश में अगर वो पाकिस्तान की आई ऐस आई का नाम इस्तिमाल करना चाहता है तो ये हैरत की बात है क्योंकि माज़ी की सच्चाई से ज़ाहिर होताहै कि ये अमरीका ही है जिस ने आई ऐस आई के कांधे पर हाथ रख कर अफ़्ग़ानिस्तान में तालिबान के ख़िलाफ़ जंग करने का फ़ैसला किया था। अब आई ऐस आई को किसी और मक़सद के लिए इस्तिमाल किया जा रहा है तो इस से पाकिस्तान के साथ ताल्लुक़ात को अबतर बनाने से हालात बेहतर नहीं होंगी। वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने सलामती कौंसल से ख़िताब करने का अपना फ़रीज़ा इस लिए तर्क करदिया क्योंकि आई ऐस आई के मसला पर ही अमरीका ने गिलानी को वाईट हाइज़ का मेहमान बनाने से पस-ओ-पेश किया था। अमरीका की इस बेरुख़ी के बाद गिलानी ने दौरा अमरीका मंसूख़ करके अपनी जगह वज़ीर-ए-ख़ारजा हिना रब्बानी को रवाना किया मगर वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान ने दौरा मुख़्तसर करके फ़ौरी वतन वापिस होजाने की हिदायत दी। बिलाशुबा कोई भी मुल्क अपने वक़ार को ठेस पहुंचाने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं करसकता। वैसे पाकिस्तान में इस वक़्त बदतरीन दाख़िली और ख़ारिजी सूरत-ए-हाल का एतराफ़ करने वाले बाअज़ क़ाइदीन और तजज़िया कारों का ये भी एहसास है कि पाकिस्तान को सयासी, मआशी और दिफ़ाई तौर पर अदम इस्तिहकाम से दो-चार करने के लिए हुकूमत की हालिया पालिसीयां ज़िम्मेदार हैं। बाअज़ तजज़िया निगार साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ की पालिसीयों को पाकिस्तान के लिए दरुस्त मानते हैं और बाअज़ ने अपनी पालिसीयों की वजह से पाकिस्तान के वक़ार को ठेस पहूंचना ज़ाहिर किया है। अमरीका का साथ दे कर पाकिस्तान को आज इस इल्ज़ाम का मुंह देखना पड़ रहा है कि वो दहश्तगर्द ग्रुपों की सरपरस्ती करता है इस इल्ज़ाम की वजूहात कई होसकती हैं लेकिन अमरीका को ये बात भी फ़रामोश नहीं करनी चाहीए कि दहश्तगर्दी का सब से पड़ा शिकार ख़ुद पाकिस्तान बना हुआ है। इस के बावजूद पाकिस्तान ने दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ आलमी जंग में इस का साथ दिया। अफ़्ग़ानिस्तान में अमरीका की जो कुछ भी कैफ़ीयत है इस की तल्ख़ हक़ीक़त ये है कि वो तालिबान की ताक़त के सामने दम तोड़ रहा है अगर ये बात सच्च है तो फिर अफ़्ग़ानिस्तान में अपनी अफ़्वाज की सलामती की फ़िक्र ख़ुद उसे ही करनी है। जैसा कि वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान ने कहा कि अफ़्ग़ानिस्तान में इत्तिहादी अफ़्वाज को दरपेश मसाइल के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार टहराया नहीं जा सकता और ना ही अफ़्ग़ानिस्तान में अमरीका, नाटो और आई एसए एफ़ की सीकोरीटी की ज़िम्मेदार पाकिस्तान के सर थोपी जा सकती है। ये तो ख़ुद अमरीका को सोचना है कि दहश्तगर्द नट वर्क को ख़तन करने के लिए इस का फैला हुआ जाल बोसीदगी का शिकार क्यों होगया। आई ऐस आई के बारे में अमरीका के पास अगर कोई सबूत है तो वो इस सबूत को पाकिस्तान से रुजू करसकता है। हक़्क़ानी नट वर्क और आई ऐस आई का गठजोड़ बिलाशुबा एक तशवीश की बात है इस ताल्लुक़ से अमरीका को अपने राज़ और अपनी बात मुंह में ही दबाये रखने की ज़रूरत नहीं ही। इस के पास वाक़ई हक़्क़ानी नेट वर्क का डाटा है तो वो अपने मालूमात को पाकिस्तान के सामने पेश करके दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ जंग के अपने देरीना हलीफ़ पाकिस्तान को एतिमाद में लेने की कोशिश करे।