आई ओ ए अपने दस्तूर में तरमीम करने पर मजबूर

इंटरनेशनल ओलम्पिक कमेटी की जानिब से अल्टीमेटम मिलने के बाद कोई भी रास्ता ना रहने पर हिंदुस्तानी ओलम्पिक तंज़ीम ने अपने उसूल-ओ-ज़वाबत में तरमीम करके ख़ाती अफ़राद को इलेक्शन में लड़ने से रोक दिया है।

इससे हिंदुस्तान का ओलम्पिक में वापिस होने का रास्ता साफ़ होगया है। आई ओ सी की हिदायत पर आई ओ ए ने अपने दस्तूर में तरमीम करने का फ़ैसला एक ख़ास इजलास में किया है। मज़कूरा आलमी तंज़ीम ने गुजिश्ता माह अल्टीमेटम दिया था कि अगर ख़ाती अफ़राद को चुनाव‌ लड़ने से नहीं रोका गया तो वो हिंदुस्तान की मुस्लिमा हैसियत ख़त्म करदेगा।

आई ओ सी ने ये वाज़िह कर दिया था कि 10 दिसम्बर से पहले तरमीम करना ज़रूरी है और ऐसा ना होने पर वो आई ओ सी की बोर्ड में हिंदुस्तान की मुस्लिमा हैसियत ख़त्म करने की सिफ़ारिश करेगा। बोर्ड का इजलास 10 और 11 दिसम्बर को होने वाला है। इस इजलास की सदारत करने वाले एस रग्घू नाथन ने कहा कि मुअत्तल आई ओ ए के सदर अभय‌ सिंह चौटाला और जेनरल सेक्रेटरी ललित भनोट 9 फरवरी को होने वाले आई ओ ए के इंतिख़ाबात में हिस्सा नहीं ले पाएंगे।

अदालत ने उन दोनों को ख़ाती क़रार दिया है। आज के इजलास में 134 अरकान ने हिस्सा लिया। उन्होंने ज़राए इबलाग़ से कहा कि इस इजलास में आई ओ ए के दस्तूर के इस मुताल्लिक़ा दफ़आत में तरमीम करने का मुत्तफ़िक़ा फ़ैसला किया गया जिस से ख़ाती अफ़राद को इंतिख़ाबात लड़ने से रोका जा सके।

चौटाला और भनोट दोनों ने कहा कि वो आइन्दा होने वाले इंतिख़ाबात में हिस्सा नहीं लेंगे। असल में चौटाला ने तरमीम की तजवीज़ पेश की और भनोट ने उसकी हिमायत की। उन्होंने कहा कि हम ने 9 फरवरी को इंतिख़ाबात करने का फ़ैसला भी किया है।