बम्बे हाईकोर्ट ने 29 साला डाँक्टर को सुनाई गई सज़ाए उम्र क़ैद की तसदीक़ करदी, जिसे रवां साल पड़ोसी थाने के एक ख़ानगी हस्पताल के इंटैंसीव कैयर यूनिट में एक मरीज़ा की इस्मत रेज़ि का मुजरिम पाया गया है। जस्टिस पी वी हरदास और जस्टिस पी एन देशमुख की बेंच ने प्रॉसिक्यूटर ऊषा कजरीवाल की दलील क़बूल करली कि अगरचे तिब्बी शवाहिद ने मुतास्सिरा के बयान की मुकम्मल तौर पर ताईद नहीं की, लेकिन डाँक्टर की हरकत रेप के मुतरादिफ़ है और आई पी सी के 376(d) की तशरीह के अंदरून आती है।
ट्रायल कोर्ट ने डाँक्टर विशाल वाने को हस्पताल में शरीक कराई गई मरीज़ा के रेप के इल्ज़ामात पर ख़ाती पाया था। इस फ़ैसले पर दुखी डाँक्टर विशाल ने हाईकोर्ट से रुजू हो कर अपील की थी जिसे आज ख़ारिज कर दिया गया। मरीज़ा को 28 जनवरी 2013 को नक़ाहत की शिकायत पर लोटस हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में दाख़िल किया गया था, जहां से मुल्ज़िम आर ऐम ओ ने मरीज़ा को आई सी यू में मुंतक़िल किया था।