आओ चलो, स्कूल चलें हम, के नारे के तहत इकरामुल हक समाज में ला रहे हैं शैक्षिक जागरूकता

नई दिल्ली: केंद्र सरकार में चीफ इंजीनियर की सम्मानजनक नौकरी पाने के बाद आम तौर पर कोई भी अपने आप में व्यस्त हो जाएगा। लेकिन इकरामूल हक आम लोगों में से नहीं हैं। वे खास हैं, इसलिए लोगों को शिक्षा दान देते हैं। वे विशेष रूप से एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के बीच जाकर उन्हें बताते हैं कि आपको बढ़ना है तो पढ़ना है। आप अपनी गरीबी अमीरी में बदलना चाहते हैं तो स्कूल जाना ही होगा। इसी के माध्यम से कोई भी समाज के साथ आगे बढ़ सकता है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार हक़ कहते हैं कि केवल सरकार की आलोचना से काम नहीं चलेगा। खुद भी जागना होगा। बदलाव के लिए काम करना होगा। शिक्षा के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इकरामूल हक और उनके साथी शनिवार का एक दिन देते हैं।

इकरामुल हक ने 2010 में अकेले एक सपने की शुरुआत की। धीरे धीरे इस सपने को पूरा करने के इस अभियान में 2700 लोग जुड़ चुके हैं। इकरामुल हक का यह सपना था कि ‘मिशन शिक्षा’ का। उनका सपना बच्चों के जीवन से बाल मजदूरी और अशिक्षा के अंधेरे को बाहर निकालना भी है। उन्होंने इसके लिए अकेले ही स्लम बस्तियों और गांवों में घर-घर जाकर माता पिता को उनके बच्चों को शिक्षित करने के प्रति जागरूक किया। उनकी कोशिश रंग ला रही है और आज बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल जाने लगे हैं।

मिशन से जुड़े हर व्यक्ति अलग-अलग क्षेत्र में प्रतिबद्ध है। ऐसे में यह कार्यकर्ता सप्ताह भर के व्यस्त कार्यक्रम में हर रविवार को मिशन के तहत जागरूकता फैलाने के लिए निकालते हैं। स्लम बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं। इकरामुल हक ने बताया कि लोगों को ऐसा लगता है कि बच्चों की पढ़ाई में बहुत खर्च है और वह उसे नहीं उठा सकते। लेकिन हम उन्हें यही बात समझाते हैं कि निजी नहीं तो वे सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दिला सकते हैं। दसवीं के बाद बच्चों को कौन सा कोर्स कराया जाए यह बताते हैं। एडमिशन और खर्च से संबंधित माता पिता की गलतफहमी को दूर करते हैं। संस्था की कोई चंदा रसीद नहीं है। इससे जुड़े पेशेवर खुद की जेब से इसे चलाते हैं।

मिशन शिक्षा का नारा है आओ चलो, स्कूल चलें हम। मिशन के तहत अब तक दिल्ली एनसीआर में लगभग 300 स्थानों पर बैठक की जा चुकी है। इकरामुल हक ने कहा कि यह हमारे मिशन की सफलता ही है कि जागरूकता के बाद माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल में प्रवेश कराया। ईडब्ल्यूएस और बीपीएल बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए हम दिल्ली में लगभग 100 शिविर लगाने जा रहे हैं। जिनमें निजी स्कूलों में आवंटित गरीब बच्चों की सीटों पर दाखिले के लिए आने वाली परेशानियों का हल निकाला जाएगा। निजी स्कूल आसानी से गरीब बच्चों को प्रवेश देते नहीं हैं इसलिए उनकी टीम इस काम के लिए भी लोगों की मदद करती है।