आओ रमजान की तैयारी करें

रमजानुल मुबारक की आमद-आमद है लेकिन इसके लिए आपने क्या तैयारी की है। तैयारी भी की है कि नहीं? नहीं की है तो अभी वक्त है, तैयारी में लग जाएं। अपने नफ्स को मजबूर करें ख्वाहिशों को महदूद करें क्योंकि हमारी ख्वाहिशों का इम्तेहान होने वाला है।

अपने आप को रमजानुल मुबारक की आमद से पहले ही तैयार रखें। यह इससे बेहतर है कि आप रमजान का इंतेजार करें। किसी भी चीज के लिए पहले से तैयारी कर लेना ही अक्लमंदी और दानिशमंदी है क्योंकि किसी को यकीन नहीं कि वह एक दिन और जिंदा रहेगा, क्या पता कल न आए। इसलिए जल्दी कीजिए अपने आप को अल्लाह के इनामात और खुशनूदी हासिल करने के लिए तैयार करें।


तैयारी कैसे करें

बाद नमाज फज्र कुरआन की तिलावत शुरू कर दीजिए।


कुछ वक्त निकाल कर कुरआन मजीद को गौर से सुनिए।


रात में जल्द सोने की आदत डाल लीजिए ताकि आप नमाजे फज्र के लिए उठ सकें।


हर मुमकिन कोशिश कीजिए कि आप बावजू रहा करें।


बिस्तर पर जाने से पहले अपना मुहासिबा करे।


अपने नेक आमाल पर अल्लाह तआला का शुक्र अदा कीजिए और अपनी गलतियों और कोताहियों पर पछताइए और तौबा कीजिए।

रोजाना सदका करने की आदत डालिए चाहे थोड़ा ही क्यों न हो। इसको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना लीजिए जैसे आप रोजाना खाते और पीते हैं।


नवाफिल का कसरत से एहताम कीजिए जैसे तहज्जुद की नमाज।


ज्यादा से ज्यादा वक्त कुरआन व हदीस, फिकह और इस्लामी किताबों के मुताले मे गुजारें।


वक्त निकालकर अपनी अक्लमंदी, होशियारी से दूसरों की मदद करें।


कोशिश करें कि मुसलमानों और गैर मुस्लिमों के लिए इस्लामी मजामीन लिखें।

अपने आप को मुफ्तियान व उलेमा की सोहबत में बैठने वाला बनाए ताकि आप उनसे सीख सकें।

अल्लाह की खुशनूदी हासिल करने के लिए अपने आप को दूसरों की खिदमात में वक्फ करें।

दुआओं का कसरत से एहतमाम करें।

हर नमाज के बाद कुरआन की तिलावत को अपना मामूल बना लें। कम से कम तीन चार सफहात जरूर पढ़ें। ऐसा करने से आप रमजान में एक कुरआन आसानी से पढ़ सकेंगे।

रोजाना सुबह कुरआन की तफसीर भी पढ़ा करें।

किसी ऐसे आदमी को इफ्तार की दावत दें जो आप से कम रगबत रखता हो आप महसूस करेंगे कि आप के रिश्ते और भी मजबूत हो जाएंगे।

कोशिश करें कि घर में तमाम लोगों के साथ आपस में मिल कर इफ्तार करें।

अपनी जिंदगी को सुद्दारें और अपने आप को तंजीमों से जोड़े।

मस्जिदों इस्लामी तंजीमों को कसरत से अतियात दें और उन लोगों को भी जो जरूरतमंद हैं क्योंकि रमजान ऐसा महीना है जिसमें सवाब का अज्र दोगुना हो जाता है।

अपने पड़ोसियों को भी इस बाबरकत महीने में हमेशा याद रखें उनका ख्याल रखें।

कम से कम सोएं, रोजा का मकसद सिर्फ यह नहीं है कि इसमें भूके रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा खाएं और सुस्त काहिल बन जाएं। हजार महीनों से बेहतर रात (शबे कद्र) को आखिरी अशरे में तलाश करें और खुशूअ व खुजूअ का एहतमाम करते हुए अल्लाह की खुशनूदी हासिल करें।

तनहाई में अपने गुनाहों पर नादिम होते हुए अल्लाह के हुजूर तौबा करें और रोएं अल्लाह की रहमत इस महीने में कई गुना बढ़ जाती है और वह माफ कर देते हैं।

अपनी जबान, अपनी निगाहों की हिफाजत करें। नबी करीम (सल0) की बात याद रखें कि झूट बोलना, चुगली करना किसी की तरफ ललचाई हुई निगाह से देखना रोजा को मकरूह कर देता है।

अल्लाह की खूबी और बड़ाई बयान करने की दूसरों को तरगीब दें और उनकी हौसला अफजाई करें।

रात देर गए तहज्जुद के एहतमाम और रमजान के आखिरी अशरे में एतकाफ के एहतमाम के जरिए अल्लाह की खुशनूदी हासिल करें।
क्या न करें

टीवी देखना बंद कर दें, इसके बजाए इस्लामी लिटरेचर या कुरआन की तिलावत करें।

दूसरी गलत कारियों में मुब्तला होने से अपने आप को दूर रखें।

अपना खाली वक्त मस्जिद में गुजारे और इसको अपनी आदत बना लें।

अगर आप तम्बाकूनोशी के आदी है तो इसे बंद कर दें या कम कर दें वरना रमजान में यह आदत आप को काफी परेशान करेगी।

अगर आप के दोस्त इस्लामी तालीमात पर अमल आवरी नहीं करते हैं तो ऐसे दोस्तों से बचें।

अगर आप तिजारत के सिलसिले में ज्यादा सफर करते हैं तो कोशिश यह करें कि मुकामी तिजारत को तरजीह दें ताकि आप अपने खानदान के लोगों और कौम के लोगों से करीब रहें। (रियाजउद्दीन खान)


—————जदीद मरकज़