पटना/मुजफ्फरपुर 4 जून : हर साल एइएस से मुजफ्फरपुर और गया जिलों में बच्चों की मौत होती रही है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए साल भर तक न तो महकमा जाती सतह पर और न ही सिविल सर्जन सतह पर संजीदा कोशिश किये गये। जो कोशिश किये गये, वे कागजों पर ही सिमट कर रह गये।
मुतासिरह गांवों में अगर घने छिड़काव किया गया रहता, तो मच्छरों के पनपने की नौबत नहीं आती। अब तो यह भी ताफ्सिश की जानी चाहिए कि जिन इलाकों में मेलाथियॉन का छिड़काव किया गया है, वह कितना मौसर रहा है? मुजफ्फरपुर और गया जिलों के सेहत समेत दीगर महकमों के कामों का जायजा होनी चाहिए कि इस सिम्त में किसने क्या किरदार निभाया?
एलान के मुताबिक महकमा सेहत के साथ ही पीएचइडी, समाज बहबूद और तालीम मकामों के निचले सतह के ओहदेदार बेदारी मुहीम में शामिल हुए या नहीं? जेइ का टीकाकरण मुहीम जरूर चलाया गया, लेकिन इस बीमारी के सही वायरस की शिनाख्त अब तक नहीं हो पायी है। अब जब इस बीमारी ने फिर दस्तक दे दी है, तो तमाम महकमों के लोग हाथ-पैर मार रहे हैं। साबिक में न तो गांव की नालियों की सफाई की गयी और न ही साफ़ सफाई पर ध्यान दिया गया। ताहम, सेहत वजीर अश्विनी चौबे का दावा है कि पोलियो के समान एइएस के खिलाफ मुहीम चल रहा है।
टास्क फोर्स की तशकील किया गया है। तमाम अजला में डॉक्टरों की टीम तैनात कर दी गयी है। जरुरी दवाएं भेज दी गयी हैं। 102 एंबुलेंस की खिदमत मुफ्त फराहम करायी गयी है। प्रायमरी सेहत सेंटर से लेकर मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाने की इन्तेजाम की गयी है। ताहम, सूरतेहाल तसल्ली बख्श नहीं है, पर गुजिस्ता साल के मुकाबले में बेहतर हुआ है।
एइएस पर कोई पेपर नहीं
मार्च में बच्चों के डॉक्टरों के सबसे बड़े सायंसी यूनियन इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्री (आएपी) का हाइप्रोफाइल रियासत अजलास हुआ। लेकिन, हैरत है कि इसमें कौमी औरे रियासती सतह के माहेरीन ने दर्जनों रिसर्च पेश किये, पर किसी ने बिहार में एइएस पर कोई रिसर्च पेश नहीं किया।
नहीं हुआ चापाकल का प्लेटफॉर्म ऊंचा
बीमारी से बचाव के लिए बच्चों को साफ़ पिने के पानी मुहैया कराने के लिए हुकूमत ने पीएचइडी को हिदायत दिया था। इसके लिए 67 लाख रुपये भी दिये गये थे, ताकि गांवों में लगे चापाकल का प्लेटफॉर्म ऊंचा कर साफ़ पानी के इंतज़ाम की जा सके। लेकिन, पीएचइडी ने अब तक कोई काम नहीं किया। महकमा अब टेंडर निकालने में जुटा है।