दिल्ली से लोकसभा चुनाव के लिये 16 अप्रैल से पर्चे भरने का काम शुरू हो गया है। 17वीं लोकसभा के चुनाव करवाये जा रहे हैं लेकिन पहली बार दो दलों — देश की सबसे पुरानी पार्टी और दिल्ली की नयी पार्टी के बीच गठबंधन बनाने की चर्चा हो रही है, आश्चर्य है कि लगभग दो महीने से इस पर बातचीत जारी है मगर परिणाम सामने नहीं आया।
बार बार कुछ दिन बाद गठबंधन के फिर प्रयास शुरू किये जाते हैं मगर वही ढाक के तीन पात के हालात हैं। देश की पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी संयोजक के बीच 15 अप्रैल को ट्वीट ट्वीट खेल हुआ और दिल्ली की पार्टी को यू टर्न की टिप्पणी अच्छी नहीं लगी।
स्पष्ट है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन के दायरे और सीटों की संख्या को लेकर मतभेद हैं मगर दोनों दल एक दूसरे की मंशा को लेकर भी संशय पाले हुये हैं।
दिल्ली में होने वाला गठबंधन राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है तभी तो बाकी दलों के कदावर नेता कोशिश करने, मतभेद मिटाने के लिये मध्यस्थता में जुटे हैं। 16 अप्रैल को भी कोशिश शुरू हुई , हो सकता है कि एक दो दिन में गठबंधन हो या नहीं हो, कुछ भी हो सकता है।
ऐसे में तीनों दलों के मुकाबले का परिदृश्य स्पष्ट होने में समय लगेगा क्योंकि भगवा दल प्रत्याशी तय करने से पहले देखना चाहेगा कि गठबंधन का क्या हुआ। अगर हुआ तो सबसे पुरानी और नयी पार्टी में विश्वास बनाने में समय लगेगा लिहाजा सियासत सुस्त बनी रहेगी।