आगरा: आगरा में एक विदेशी बहू अपनी देसी सास के घर के बाहर भूख हड़ताल कर रही है। बहू का इल्जाम है कि सास दहेज मांग रही है और चूंकि वो दहेज नहीं लाई है इसलिए उसे घर में घुसने नहीं दे रही है। लेकिन विदेशी बहू के रहन-सहन से नाराज सास ने अपनी सारी जायदाद अपनी बेटी को लिख दी है और नहीं चाहती कि बहू घर में घुसे। मामले ने तूल पकड़ा तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से विदेशी बहू की मदद करने को कहा जिसके बाद सास और ननद के खिलाफ एफआईआर के आदेश हो गए।
सास के घर के बाहर धरना देने वाली ओल्गा एफिमेनकोवा यूं तो रूस की रहने वाली हैं, लेकिन उन्होंने सास से बगावत के लिए लेनिन की सशस्त्र क्रांति की बजाय बापू के सत्याग्रह का रास्ता चुना है। उनका इल्जाम है कि सास उनसे दहेज मांग रही हैं। चूंकि रूस में दहेज का चलन नहीं है, इसलिए वह दहेज नहीं देंगी। अब वो सास के घर के बाहर उपवास कर रही हैं।
ओल्गा कहती हैं, ‘ये लोग मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं और टॉर्चर करते हैं कि तुम नंगी हो, तुम्हारे घर में कुछ खाने को नहीं है। तुमने कुछ लाया नहीं, कुछ दहेज में नहीं दिया। और तुम तो बाहर की हो, तुम यहां पर कुछ नहीं कर पाओगी। हम तुम्हें हाथ पकड़कर बाहर निकालेंगे।’
ओल्गा ने मास्को की रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमैनिटीज से चाइनीज फिलॉसफी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उनका इरादा कंफ्यूसियनिज्म में डॉक्टरेट करने का था लेकिन छुट्टियों में वो गोव आईं जहां एक बीच पर उनकी मुलाकात एक रेस्त्रां चलाने वाले विक्रांत से हो गई। ओल्का और विक्रांत की मेल मुलाकात होने लगी और वो साथ-साथ गोवा घूमने लगे। मुलाकात मोहब्बत में बदली और फिर शादी में। ओल्गा विक्रांत के साथ गोवा में रहती हैं लेकिन आगरा आने पर सास कहती है कि दहेज लाने पर ही घर में घुसने देंगी।