आजम खान को चांसलर बने रहने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश के सीनीयर काबीना के वज़ीर मोहम्मद आजम खां को व‍ज़ीर होने के बावजूद मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी का चांसलर बने रहने के जवाज़ पर जुमेरात के रोज़ नोटिस जारी किया|

हालांकि अदालत ने मुबय्यना तौर पर हेट स्पीच (नफरत भरे बयान) देने के मुताल्लिक इल्ज़ामात के मामले में आज़म खां के खिलाफ एफआईआर कराने का हुक्म देने की गुजारिश नामंजूर कर दिया| इस मुद्दे पर खां को फिलहाल राहत मिल गई है|जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी की बेंच ने जुमेरात को यह जुक्म दो मुकामी लोगों की दरखास्त पर दिया|

इनका का इल्ज़ाम है कि सूबे के कैबिनेट मिनिस्टर रहते हुए खां जौहर यूनिवर्सिटी के चांसलर भी बने हुए हैं जो कानून के तहत गलत है|दूसरा इल्ज़ाम है कि खां ने आईनी ओहदा रहते हुए एक मज़हबी रहनुमा के खिलाफ नफरत भरे बयान दिए| ऐसे में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की हिदायत दिए जाने चाहिए|

उधर, रियासती हुकूमत की तरफ से एडिशनल अटार्नी बुलबुल गोदियाल ने दलील दी कि आजम खां फायदे का ओहदा इख्तेयार करने के कानूनी दायरे में नहीं आते और उनके खिलाफ मुबय्यना हेट स्पीच मामले में रिट जारी नहीं की जा सकती| अदालत ने वज़ीर होने के बावजूद चांसलर बने रहने के मामले में आजम खां को नोटिस जारी कर उन्हें और रियासत की हुकूमत को जबाव दाखिल करने को छह हफ्ते का वक्त दिया है| इसके बाद दो हफ्ते में दरखास्तगुजार की तरफ से जवाब दायर किया जायेगा|

इस मामले की अगली सुनवाई दो माह बाद होगी|