फिर्कावाराना दंगों को लेकर पीर के रोज़ विधानसभा में अपोजिशन ने हुकूमत को घेरने की कोशिश की। अपोजिशन और रूलिंग पार्टी में तीखी नोकझोंक भी हुई।
कांग्रेस ने बदलते वक्त के हिसाब से दंगों पर काबू पाने के लिए मुहिम बनाने और दंगाइयों के खिलाफ वक्त पर कार्रवाई की मांग उठाई तो भाजपा ने मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के दंगों में बेगुनाह लोगों को फंसाने का मामला उठाया।
पार्लीमानी उमूर के वज़ीर आजम खां ने कांग्रेस राज में 50 हजार दंगे होने का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस के नौजवान मेम्बर तारीख की बात न करें तो ही अच्छा है।
आजम ने भाजपा पर मुजफ्फरनगर दंगों का सियासी फायदा उठाने का इल्ज़ाम लगाते हुए कहा, मरकज़ में उनकी अक्सरियत की हुकूमत है। कानून ले आएं, जितने दंगाई हैं उन्हें छोड़ दिया जाएगा। कौन मुजरिम है और बेगुनाह यह तय करना कानून का काम है लेकिन भाजपा को तो अदालती अमल पर भी यकीन नहीं है।
फसादगर्दी कानून का एहतिजाज करने के लिए भी आजम ने भाजपा की खिंचाई की। आजम ने बसपा को भी नहीं बख्शा और कहा, उनकी हुकूमत में तो जेल में बंद सीएमओ को भी मार दिया जाता था। इस मुद्दे पर भाजपा व बसपा रुकन ने बायकाट किया।
कांग्रेस के नदीम जावेद व भाजपा के सुरेश राणा के एक सवाल के जवाब में आजम ने बताया कि मार्च 2013 से दिसंबर 2014 तक रियासत में दो फिर्कावाराना दंगे हुए। 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगे में 477 मुकदमे दर्ज हुए। जांच में 1359 लोगों का मुलव्वस होना पाया गया।
1046 खाती हुए, 298 कोर्ट में हाजिर हुए तथा पांच के खिलाफ दफा 83 के तहत कार्रवाई की गई। अब तक कुल 1349 मुजरिमों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
2014 में सहारनपुर में हुए दंगे में 237 मुकदमे दर्ज हुए। कुल 229 मुजरिम थे। 99 पकड़े गए, दो अदालत में हाजिर हुए। 19 मामलों में चार्जशीट दाखिल किए गए।
मेम्बर्स ने दंगा फैलाने में इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया के किरदार , मुतासिरों को इंसाफ न मिलने और बेगुनाहो को फंसाने का मामला उठाया। नदीम जावेद का कहना था कि हुकूमत ए हिंद के वज़ारत ए दाखिला के आंकड़ों के मुताबिक फिर्कावाराना दंगे की 247 वाकियात हुई हैं। मरकज़ व रियासत के आंकड़ों में काफी फर्ख है।
राणा का कहना था कि 11 ऐसे लोगों को मुल्जिम बना दिया गया जो इस दुनिया में ही नहीं है। 70-80 साल के बुजुर्गों पर छेड़खानी व बलात्कार का मुकदमा कायम किया गया है।
बहुत से बेगुनाहो को झूठे इल्ज़ामात में फंसाया गया है। मुल्ज़िम नार्को, पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को भी तैयार हैं। सहारनपुर में लोगों को नुकसान के हिसाब से मुआवजा तक नहीं मिला।
आजम ने कहा, तारीख की बात न करें तो ही अच्छा है वरना बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। नदीम पर हमला बोलते हुए कहा, वह जिस दल में हैं उसकी तारीख में न झांकना पड़े तो ही अच्छा है।
नदीम ने सरकार पर इल्ज़ाम हटाने कि कोशिश का इल्ज़ाम लगाया तो आजम ने अयोध्या में ताला खुलवाने, शिलान्यास कराने, मस्जिद गिराने का जिक्र छेड़ दिया। इसके बाद आजम ने सुरेश राणा के अनुपूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा, जिन्होंने शिकायत वापस ली वे काफी गरीब हैं और मुल्ज़िमों के खिदमतगार हैं।
लंबी बहस के दौरान भाजपा रुकन बेगुनाहों को जेल से छोड़ने की मांग करते रहे तो आजम कानून का हवाला देकर कार्रवाई को सही ठहराते रहे। कमेटी बनाकर जांच कराने की बात उठी तो कहा, गुजरात दंगे पर कहां कमेटी बनी?
इसके बाद भाजपा सदस्य सुबकदोश हो गए। बसपा ने भी आंकड़ों को मुतजात बताया तो आजम ने बसपा के इक्तेदार में जेल में सीएमओ के क़त्ल का जिक्र करते हुए उसे भी आईना दिखाया। इसके बाद बसपा मेम्बर भी सुबकदोश हो गए।
सुरेश राणा ने जब कहा कि जिन्होंने दंगा कराया वे इलेक्शन लड़े और धड़ल्ले से घूम रहे हैं, कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आजम ने कहा, जम्हूरियत में ऐसे ही होता है।
जिन्हें जेलों में या फांसी के तख्त पर होना चाहिए वे पार्लियामेंट के लिए चुन लिए जाते हैं। सेक्युरिटी में चलते हैं। कातिल पार्लियामेंट में बैठते हैं। 40-40 पिल्ले पैदा करने का बयान देने वाली वज़ीर बन गई हैं। यही जम्हूरी का निज़ाम है। अगर कहीं कोई ज्यादती है तो लिखकर दें, दिखवा लेंगे।
बसपा के वॉकआउट पर आजम ने अपोजिशन लीडर की चुटकी लेते हुए कहा कि, इतनी जल्दी-जल्दी वॉकआउट न किया करें। थक जाएंगे। यहीं बैठे-बैठे कह दें कि वॉकआउट किया। बार-बार बाहर जाने से कालीन घिस रही है।