आजरीन के पास तारकीन-ए-वतन की दस्तावेज़ात खिलाफॱएॱ क़ानून

रियाद‌

सऊदी अरब में बाज़ स्पांसरस का रिवायती अमल तर्क, दस्तावेज़ात का ग़लत इस्तेमाल रोकना मक़सूद

सऊदी अरब की मजलिस वुज़रा ने हाल में ऐलान किया कि तारकीन-ए-वतन के पासपोर्टस और दीगर सरकारी दस्तावेज़ात का उन के आ जरीन के पास महफ़ूज़ कर दिया जाना क़ानूनी ज़ावीया से एक ख़िलाफ़वरज़ी है। कई सऊदी स्पांसरस बदस्तूर अपने तारकीन-ए-वतन मुलाज़िमीन के पासपोर्टस और सरकारी दस्तावेज़ात अपने पास ही रखते हैं ताकि इस मुल्क में इनका क़ियाम और यहां से रवानगी दोनों चीज़ें उन की शराइत के मुताबिक़ होती रहें।

वुकला का इस्तिदलाल है कि ये अमल क़ानून और बैरूनी वर्कर्स के इंसानी हुक़ूक़ की ख़िलाफ़वरज़ी है, रोज़नामा अलरियाज़ ने ये रिपोर्ट दी है। एक ओहदेदार ने कहा कि ऐसे तारकीन-ए-वतन के लिए क़ानूनी गिरिफ़त होनी चाहिए जो अपनी सरकारी दस्तावेज़ात का ग़लत इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह से स्पांसरस को कोई भी दस्तावेज़ात अपने क़बज़े में रखने की ज़रूरत महसूस नहीं होगी। उन्होंने कहा कि तारकीन-ए-वतन के पासपोर्टस क़बज़े में रखना बज़ाहिर बेज़रर अमल है क्योंकि ज़्यादा तर वर्कर्स को जब तक वो सलतनत में हो, अपने पासपोर्टस की ज़रूरत नहीं होती है।

तारकीन-ए-वतन को अपने पासपोर्टस की ज़रूरत सलतनत के बैरून सफ़र पर ही होती है। ग़ैर मजाज़ ख़ुरूज को स्पॉन्सर्स रोकने कोशां होते हैं। ताहम सिक्योरिटी हुक्काम और दीगर सरकारी इदारे हमेशा ही तारकीन-ए-वतन के हुक़ूक़ का तहफ़्फ़ुज़ करने कोशां रहते हैं। उन्होंने बाज़ तारकीन-ए-वतन को सलतनत के लीगल सिस्टम का इस्तेहसाल करने का इल्ज़ाम ठहराया।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग सलतनत में आने के बाद इब्तेदाई तीन माह के दौरान मुकम्मल फ़रमांबर्दार और उसोल के पाबंद रहते हैं लेकिन बाद में इनका रवैया बदल जाता है। उन्हें शायद ये पता होता है कि इब्तेदाई तीन माह तजुर्बाती मुद्दत होती है।