रियास्ती हुकूमत की जानिब से आज़मीने हज की रवानगी के मौक़ा पर एयरपोर्ट यूज़र डेवलप्मेन्ट फ़ीस में रियायत के सिलसिले में मसाई का आग़ाज़ किया गया है। रियास्ती वज़ीरे अक़लीयती बहबूद मुहम्मद अहमद उल्लाह ने आंध्र प्रदेश के तक़रीबन 8000 आज़मीने हज के लिए यूज़र डेवलप्मेन्ट फ़ीस में 50 फ़ीसद रियायत के लिए हुकूमत से ज़ाइद फ़ंड की इजराई के लिए नुमाइंदगी की है।
बताया जाता है कि वज़ीरे अक़लीयती बहबूद ने इस सिलसिले में सेक्रेट्री अक़लीयती बहबूद अहमद नदीम से मुशावरत की और चीफ़ मिनिस्टर से आज़मीने हज को रियायत की फ़राहमी के लिए फ़ंड्ज़ की इजराई की दरख़ास्त का फ़ैसला किया। शम्साबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आज़मीने हज से यूज़र डेवलप्मेन्ट फ़ीस के तौर पर फीकस 1800/- रुपये वसूल किए जाते हैं।
गुज़िश्ता चंद बरसों तक जी एम आर कंपनी ने हुकूमत की नुमाइंदगी पर आज़मीने हज को यूज़र चार्जेस में 50 फ़ीसद की रियायत दी थी ताहम जारीया साल से जी एम आर ने किसी भी रियायत की फ़राहमी से माज़ूरी का इज़हार किया है।
हुकूमत ने अक़लीयती बहबूद के लिए जारीया मालीयाती साल 1027 करोड़ रुपये मुख़तस किए हैं और मालीयाती साल की तकमील तक मुकम्मल रक़म का ख़र्च यक़ीनी नहीं। इस से क़ब्ल भी हर साल भारी बजट ख़र्च ना किए जाने के सबब सरकारी ख़ज़ाना में वापिस जाता रहा है। अगर हुकूमत चाहे तो 1027 करोड़ रुपये में से किसी भी तरह 78 लाख रुपये आज़मीने हज के यूज़र चार्जेस में रियायत के सिलसिले में मुख़तस कर सकती है।
अब देखना ये है कि वज़ीरे अक़लीयती बहबूद की ये काविशें किस हद तक कामयाब होंगी और चीफ़ मिनिस्टर अक़लीयतों की हमदर्दी के अपने दावा में किस हद तक सच्चे साबित होंगे।
बाअज़ अक़लीयती क़ाइदीन और अवामी नुमाइंदों ने हज कमेटी से नुमाइंदगी की कि यूज़र चार्जेस की मुकम्मल रक़म हज कमेटी की जानिब से फ़राहम की जाए ताहम हज कमेटी के बजट के लिहाज़ से ये मुम्किन नहीं। हुकूमत ने हज कमेटी का बजट 2 करोड़ रुपये मुख़तस किया है जो ख़ुद नाकाफ़ी है।
यूज़र चार्जेस की मुकम्मल अदायगी ना सही अगर हुकूमत 50 फ़ीसद रियायत के एतबार से 78 लाख रुपये मुख़तस करती है तो ये भी आज़मीने हज पर से बोझ की कमी का ज़रीए बन सकती है।
वज़ीरे अक़लीयती बहबूद के साथ साथ इस सिलसिले में कांग्रेस के अवामी नुमाइंदों और क़ाइदीन को भी चीफ़ मिनिस्टर से नुमाइंदगी करनी होगी। जब तक अक़लीयतों की जानिब से मुनज़्ज़म अंदाज़ में नुमाइंदगी नहीं की जाए उस वक़्त तक इन कोशिशों में कामयाबी की तवक़्क़ो नहीं की जा सकती।