हिंदुस्तानी मुसलमानों के लिए हज के मुक़द्दस सफ़र को सहल (आसान) बनाने के लिए आज इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि या तो हज कमेटी आफ़ इंडिया को मुकम्मल इख़्तेयारात दिए जाये या ताबिंग हाजी की तर्ज़ ( शैली) पर एक ख़ुदमुख्तार इदारा क़ायम करने की इजाज़त दी जाये ताहम ( यद्वपि) मर्कज़ी हुकूमत ( केंद्र सरकार) के दो मुस्लिम वुज़रा (मंत्रीगणो) ने इस ख़्याल को मुस्तर्द ( रद्द) करते हुए कहा कि अगर ऐसी कोई ज़रूरत नागुज़ीर (जरूरी) है तो वो माडल हिंदुस्तानी आईन ( कायदा) क़ानून और सैक्यूलर (धर्मनिरपेक्ष) रवायात के मुताबिक़ होना चाहीए।
लेकिन कान्फ्रेंस के मुंतज़मीन ने वज़ाहत ( सप्ष्ट ) की कि इनका मक़सद कोई मुतवाज़ी इदारा (सामांतर संस्था/) बनाने का नहीं है बल्कि आईन ( कानून) के दायरा में मुसलमानों हाजियों के लिए सहूलत चाहते हैं। सफ़र हज के इंतेज़ामात में इस्लाहात ( पर क़ौमी कान्फ्रेंस में आज ये बात खुल कर सामने आ गई कि हिंदूस्तानी मुसलमानों के लिए सफ़र हज को सहल( आसान) बनाने के ख़ातिर मलेशीया के ताबिंग हाजी के तर्ज़ पर हिंदूस्तान में किसी इदारा के राह में बहुत सारी रुकावटें हैं जिन्हें दूर करना हुकूमत की क़ुव्वत-ए-इरादी ( इच्छा शक़्ती) के बगै़र मुम्किन नहीं है।
फ़ोर्म फ़ार हज पिलग्रीम्ज मैनेजमेंट (Haj pilgrimage management) इन इंडिया के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िद ( द्वारा आयोजित) इस कान्फ्रेंस में शुरका ( साझेदारों) ने ताबिंग हाजी कारकर्दगी (गतिविधियों) की तारीफ़ की और कहा कि ये हिंदूस्तान के लिए भी एक बेहतरीन माडल साबित हो सकता है। ताबिंग हाजी के डायरेक्टर रिचर्ड अज़लान अब्बास ने हिंदूस्तान में भी इसी तर्ज़ के इदारा ( संस्था) के क़ियाम में हर मुम्किन तआवुन ( मदद) की यक़ीन दहानी कराई ( भरोसा दिलाया)।
दूसरी तरफ़ इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक जद्दा के चेयरमैन डाक्टर अहमद मुहम्मद अली ने कहा कि ताबिंग हाजी का माडल हिंदूस्तान में भी कामयाबी से चलाया जा सकता है।