आज़मीन-ए- हज के दोनों ज़ुमरों(दरजों) में तक़रीबन 40 हज़ार रुपये का इज़ाफ़ा

डालर की कीमत में हो रहे इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)ने गैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों को ख़ुश कर दिया लेकिन डालर की कीमत में यही इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) हिंदूस्तानी आज़मीन हज के लिये तकलीफ का बाइस साबित हो रहा है । मर्कज़ी हज कमेटी ने आज़मीन हज के दोनों ज़ुमरों(दरजों) की कीमतों का सेट कर दिया है । और दोनों ज़ुमरों(दरजों) में तक़रीबन 40 हज़ार रुपये का इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)किया गया है ।

डाक्टर शाकिर हुसैन ( आई आर एस ) चीफ एकज़ेकटिव ऑफीसर मर्कज़ी हज कमेटी ने बताया कि पहले ज़ुमरे के आज़मीन हज जो हैदराबाद से रवाना होरहे हैं उन्हें एक लाख 62 हज़ार 900 रुपये अदा करने होंगे और दूसरे ज़ुमरे ( अज़्ज़िया ) के आज़मीन को एक लाख 33 हज़ार 950 रुपये अदा करने होंगे । उन्हों ने बताया कि मर्कज़ी हज कमेटी ने मुल्क भर के आज़मीन के लिये जो कीमत का सेट किया है इस में ए रिपोर्ट डेवलपमेनट फीस शामिल नहीं है ।

डाक्टर एस शाकिर हुसैन ने बताया कि बैरूनी ज़र-ए-मुबादला में रुनुमा हुई तबदीली हज की कीमत में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) का अहम सबब है । हज 2012 के मौक़ा पर रुपये की क़दर में ज़बरदस्त गिरावट और सऊदी रियाल की कीमत में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)के सबब हज बैत उल्लाह की अदाएगी के लिये ज़्यादा अख़राजात अदा करने होंगे । मर्कज़ी हज कमेटी ने सऊदी रियाल की कीमत 15.23 रुपये मुख़तस की है जिस का रोज़नामा सियासत ने 14 जून को ही इन्किशाफ़ कर दिया था ।

इलावा अज़ीं आज़मीन हज की आमद-ओ-रफ़त (आने जाने)के इंतिज़ामात करने वाले एयर लाइंस ने फ़िज़ाई सफ़र में हुए इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)का बहाना करते हुए 16 हज़ार के आमद-ओ-रफ़त (आने जाने)के टिकट को 20 हज़ार रुपये कर दिया जब कि माबक़ी रक़म हुकूमत से एयर लाइंस को सब्सीडी के नाम पर हासिल हो जाएगी ।

डाक्टर एस शाकिर हुसैन के बमूजब जो इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) हुआ है इस में ग्रीन ज़ुमरे के लिये 65.4 फीसद रियाल में , 9.4 फीसद यानी 4 हज़ार रुपये फ़िज़ाई कराया में और 25.2 फीसद रिहायश की कीमतों में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)के सबब है । इसी तरह अज़्ज़ेज़िया के अख़राजात(खर्च) में जो इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)हुआ है इस में 72% सऊदी रियाल , 13 फीसद फ़िज़ाई किराया में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)और 15 फीसद रिहायशी अख़राजात में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी)शामिल है ।

मर्कज़ी हज कमेटी की जानिब से मुक़र्रर करदा इन अख़राजात (खर्च) के बाद क़ौमी सतह पर आज़मीन हज के मंसूख़ी सफ़र की दरख़ास्तों में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी )होने का ख़दशा है ।।