आजाद हिंद फौज के कैप्टन अब्बास अली का यहां हफ्ते के रोज़ सुबह दिल का दौरा पड़ने से इंतेक़ाल हो गया| वह 95 साल के थे| वज़ीर ए आला अखिलेश यादव ने अब्बास अली के इंतेक़ाल पर गहरा गम ज़ाहिर किया है|
अब्बास अली, सुभाष चंद्र बोस की तरफ से कायम आजाद हिंद फौज में कैप्टन थे| बाद में वह समाजवादी तहरीक में शामिल हो गए थे| वह डॉ. राममनोहर लोहिया के बहुत करीबी थे|
उनके बेटे सीनीयर सहाफी कुर्बान अली ने आईएएनएस को बतया कि, “कैप्टन साहब अपने आखिरी लम्हे तक सरगर्म थे|
वज़ीर ए आला अखिलेश ने अपने गम के पैगाम में कहा कि कैप्टन अब्बास अली एक मारूफ फ्रीडम फाइटर थे| अब्बास अली ने आजाद हिंद फौज के ज़रिये से मुल्क को आजाद करने के लिए जो जद्दो ज़हद किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता|
उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया के करीबी रहे कैप्टन अब्बास अली ने समाजवादी नज़रिये को मजबूत बनाने में भी अहम किरदार निभाये| अब्बास अली की पैदाइश साल 1920 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले की खुर्जा तहसील में हुआ था|
बचपन से ही वह भगत सिंह की इंकलाबी नज़रियात से मुतास्सिर थे| हाईस्कूल में ही वह अपने दोस्तों के साथ भगत सिंह की ‘नौजवान भारत सभा’ से जुड़ गए थे|
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तालीम हासिल करने के दौरान उनकी मुलाकात कुंवर अशरफ मुहम्मद से हुई थी| वह ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन से भी जुड़े| 1939 में अली ब्रिटिश फौज से जुड़े और दूसरे आलमी जंग (1939-45) के दौरान युनाइटेड इंडिया समेत जुनूबी मशरिकी एशिया (South East Asia) में कई मुकामात पर तैनात किए गए थे|