बी जे पी के साबिक़ सदर नतन गडकरी ने मुल्क में ख़ानदानी (मौरूसी) सियासत को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए कहा कि उनकी पार्टी वीज़न 2025 के नाम से एक ऐसी दस्तावेज़ तैयार कररही है जो नौजवान तबक़ा को अख़लाक़ व इक़दार का हामिल बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देगी।
बी जे पी युवा मोर्चा के एक इजलास में कल शाम शिरकत करते हुए अपने ख़िताब के दौरान उन्होंने कहा कि आज का नौजवान इंतिहाई ज़हीन और अपने नजदीक के माहौल से वाक़िफ़ है। यही ज़हीन और टैक्नोलोजी में माहिर नौजवानों को इंसानी इक़दार-ओ-अख़लाक़ का दरस देकर हिंदुस्तान को इक्कीसवीं सदी का एक ऐसा मुल्क बनाया जा सकता है जो तमाम ममालिक की फ़हरिस्त में सब से ऊपर हो।
मैं ये नहीं कहता कि नौजवान अख़लाक़-ओ-इक़दार से बेबहरा हैं लेकिन ये हक़ीक़त भी अपनी जगह सही है कि गुज़रे हुए ज़मानों के नौजवानों में अपने बड़ों बुज़ुर्गों के लिए जो इज़्ज़त-ओ-तौक़ीर हुआ करती थी और वो जिन ख़ानदानी इक़दार का पास-ओ-लिहाज़ करते थे, मौजूदा ज़माने के नौजवानों में इस का फ़ुक़दान है।
उन्होंने इस सिलसिले में कांग्रेस का नाम लिए बगै़र कहा कि जहां तक सियासी मैदान का सवाल है तो आजकल के नौजवानों को ख़ानदानी सियासत या मौरूसी सियासत की हिम्मतअफ़्ज़ाई नहीं करनी चाहिए। सियासत कोई बादशाहत नहीं कि परदादा के बाद, दादा, दादा के बाद बाप, बाप के बाद बेटा और बेटे के बाद पोता तख़त-ए-शाह पर जलवा अफ़रोज़ होगा।
उन्होंने कहा कि सियासी ज़िंदगी में अच्छे काम अंजाम देने केलिए अव्वाम के बीच रहना ज़रूरी है, उनके मसाइल को समझना और उन्हें हल करना भी बहुत ज़रूरी है। सिर्फ़ सियासी क़ाइदीन का एयरपोर्ट पर इस्तिक़बाल करते हुए और बड़ी बड़ी होर्डिंग्स लगाने से आप सच्चे सियासतदां नहीं बन सकते।
अगर अव्वाम को आप ने सच्चे दिल के साथ ख़िदमत की है तो सियासी या अव्वामी इजलास में अव्वाम को पैसे देकर किराए की बसों में भर कर लाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने एक बार फिर वीज़न 2025 दस्तावेज़ की तैयारी का तज़किरा किया और कहा कि इस के ज़रिया मुल्क को मआशी, सियासी और समाजी मसाइल से बाहर निकालना है और साथ ही साथ ग़ुर्बत का ख़ातमा भी करना है।