आज के समय में इंजीनियरिंग घाटे का सौदा 10 में से सिर्फ 6 को मिल रही नौकरी

दिल्ली : इंजीनियरिंग सेक्टर अब तक के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है. आज इंजीनियरिंग डिग्री ले चुके ढेर सारे छात्र बेरोज़गार हैं. 2013-14 के आंकड़ों के अनुसार 3.5 लाख से 4 लाख इंजीनियर प्रति वर्ष पास आउट होते हैं.

दरअसल इंजीनियरिंग की घटिया पढ़ाई, बदलती तकनीक और ऑटोमेशन ने प्राइवेट कॉलेज से निकले इंजीनियरों को कहीं का नहीं छोड़ा है. इन इंजीनियरों को कंपनियां नौकरी नहीं दे रही है, और अगर नौकरी दी भी जाती है तो तनख्वाह बेहद कम.

अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में लगभग 3200 संस्थानों में पढ़ाये जाने वाले इंजीनियरिंग कोर्स में सिर्फ 15 फीसदी पाठ्यक्रम ही नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडेशन से मान्यता प्राप्त हैं. 2009-10 में डिग्री पूरी करने के बाद 60 प्रतिशत इंजीनियर जॉब पाते थे. यह आकंड़ा लगातार नीचे आया है. हाल ही में कुछ दूसरे अध्ययन से पता चला है कि 20 फीसदी पासआउट इंजीनियर ही नौकरी करने के लायक हैं, बाक़ियों को लंबा संघर्ष करना पड़ता है. लेकिन एस्पायरिंग माइंड नाम की एक फर्म की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 95 प्रतिशत इंजीनियर्स प्रोग्रामिंग नहीं कर पाते हैं.

बता दें कि आजकल के दौर में नई तकनीक, ऑटोमेशन की वजह से भी इंजीनियरिंग क्षेत्र में कई नौकरियां खत्म हो रही हैं. इंडस्ट्री विशेषज्ञों के मुताबिक नौकरी ना मिल पाने की मुख्य वजह गलत पाठ्यक्रम, इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रयोगशाला उपलब्ध ना होना, और शिक्षण के लिए अच्छे शिक्षकों का मौजूद ना होना है. सरकार को चाहिए कि वो इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता पर ध्यान दें.