मुल्क में गरीबों की तादाद तय करने के तरीके की जायज़ा करने वाली रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट आज पीएम नरेंद्र मोदी को सौंपी जाएगी. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सी रंगराजन की कियादत में इक्तेसादी माहिर की इस कमेटी की तश्कील यूपीए हुकूमत ने किया था |
रंगराजन कमेटी की रिपोर्ट के बाद मुल्क में गरीबों की असल तादाद पर अटकलबाजी खत्म होने की उम्मीद है | इससे पहले अलग-अलग इदारों के गरीबी के अलग-अलग मयार तय करने की वजह से कई मरतबा मुतनाज़ा पैदा हो चुका है.
मंसूबाबंदी कमीशन ने मई, 2012 में तेंडुलकर कमेटि गरीबी के मयार के तरीके के जायज़ा के लिए माहिरीन ग्रुप तश्कील किये थें मुल्क में गरीबों की तादाद को लेकर मचे हंगामे के मद्देनजर इस कमीशन की तश्कील की गयी थी |
माहिरीन ग्रुप को कमीशन से 7 से 9 माह के दौरान अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इसे कई बार तौसीअ करना पड़ा. अब ग्रुप की तरफ रिपोर्ट सौंपने की मुद्दत 30 जून को खत्म हो गई है | सितंबर, 2011 में मंसूबाबंदी कमीशन के गरीबी के पैमाने को लेकर काफी तन्कीद हुई थी |
उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में पेश हलफनामे में कहा गया था कि शहरी इलाको में 32 रुपये फी शख्स रोज़ाना ख्रर्च करने वाले खानदान और देही इलाकों में 26 रुपये फी शख्स हर दिन खर्च करने वाले खानदानो को गरीब नहीं माना जायेगा.