आज हिंदूस्तानी ज़हनीयत पर बाज़ार हावी : रजिस्ट्रार

अलीगढ़, 19 नवंबर (यू एन आई) हिन्दी कहानी के इबतिदाई दौर में लोग दिलचस्पी के लिए कहानियां पढ़ते थे और वो दिलचस्पी का ही वसीला समझी जाती थीं।

आज हिन्दी कहानी फ़रोग़ पाते हुए ग्लोबलाइज़ेशन के इस दौर तक पहूंच गई है जिस पर ग्लोबलाइज़ेशन का दबाव् भी बढ़ता जा रहा है ।

शोबा-ए-हिन्दी उत्तर प्रदेश हिन्दी इंस्टीटियूट के मुशतर्का तआवुन से मुनाक़िदा दो रोज़ा वर्कशॉप की इख़ततामी तक़रीब से ख़ुसूसी मुक़र्रर की हैसियत से हिन्दी कहानी पर तफ़सीली रोशनी डालते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफ़ैसर वे के अबदुल जलील ने ये ख़्यालात ज़ाहिर की।

उन्हों ने कहा कि आज एक ज़बान-एक दुनिया की बात हो रही है जिस में कसीर ज़बानों का ख़ातमा होता जा रहा है जो कि अख़लाक़ी इक़दार का ख़ातमा होने के साथ तख़लीक़ का ख़ातमा भी क़रार दिया जा सकता ही। आज हिंदूस्तानी ज़हनीयत पर बाज़ार हावी होगया है ।

मुसन्निफ़ीन को अलफ़ाज़ के नए मआनी तलाश करना चाहियॆ । प्रोफ़ैसर जलील ने शोबा-ए-हिन्दी के सदर प्रोफ़ैसर ऐम ई ज़ुबैरी को वर्कशॉप के कामयाब इनइक़ाद पर मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि इन के ज़रीया सभी को साथ लेकर चलने की बदौलत ही ये वर्कशॉप कामयाब हो सका है।