न्यूयॉर्क: दुनिया भर में अपने आतंक से सभी की नींद उड़ाने वाले दाइश उर्फ़ ISIS ने न सिर्फ मुल्क की सरकारों की बल्कि वहां के रहने वाले मुसलमानों की भी नींदें हराम कर दी हैं। कहते हैं ” आटे के साथ घुण भी पिसता है ” वही कहावत यहाँ सच हो रही है। मुसलमान जो कि दुनिया के हर देश में रह रहे हैं और अपनी नर्म दिली और अच्छे स्वभाव के इलावा देश की अलग अलग तरीकों से सेवा भी करते हैं आज खुद अपने देश,शहर और यहाँ तक की अपने दफ्तर में भी शक भरी नज़रों से देखे जाने की वजह से हताश और निराश हैं। यही हाल उनके बच्चों का है स्कूल में न तो साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स उनसे अच्छे से बात कर रहे हैं और न ही आस पास के लोग।
यह माहौल सिर्फ और सिर्फ कुछ घटिया किस्म के मतलबपरस्त लोगों की वजह से जो या तो लोगों को भड़का कर आने वाले इलेक्शन में राष्ट्र्पति की कुर्सी पर बैठना चाहते हैं और या फिर ऐसे लोग जो इस्लाम की आड़ लेकर अपने नापाक इरादों को पूरा कर रहे हैं और एक साफ़ पाक मजहब को बदनाम कर रहे हैं।
टीवी पर मुस्लिम विरोधी भाषण, इंटरनेट और अखबारों में नेताओं के बयान और कुछ नासमझ लोगों की घूरती नज़रें मुस्लिम स्कूली बच्चे इन सब को देख ऐसा महसूस करते हैं जैसे लोग उन्हें खुद में मिलाना नहीं चाहते।
वहीँ बहुत से लोग लोग ऐसे भी हैं जो मुसलमानों के हक़ में उनके साथ खड़े हैं। ऐसे लोगों में फेसबुक के फाउंडर मार्क ज़ुकेरबर्ग और गूगल के सीईओ सुन्दर पिचई भी शामिल हैं। चाहे मुस्लिमों को चाहने वालों की दुनिया में कोई कमी नहीं है लेकिन बच्चों के मन पर यह दहशत का माहोल जो असर छोड़ रहा है उसे भुलाना उनके लिए शायद सारी उम्र भी मुमकिन न हो पायेगा।