आतंकवादी नहीं हैं कश्मीर के अलगाववादी नेता: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: बीते कल सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में आज़ाद कश्मीर का समर्थन कर रहे अलगाववादियों को केंद्र सरकार की तरफ से दी जाने वाली सुविधाओं और पैसे पर रोक लगाने के लिए दाखिल की गई एक जनहित याचिका को ख़ारिज करते हुए याचिकाकर्ता को सख्त शब्दों में जवाब दिया है।

कश्मीर में पैदा हुए हालातों के चलते कोर्ट में पीआईएल दाखिल करने वाले एडवोकेट एम.एल. शर्मा ने कश्मीरी अलगाववादियों को आतंकवादी कहकर संबोधित करते हुए कहा था कि सरकार की तरफ से अलगाववादियों को उनके इलाज, रहन-सहन और यात्राओं आदि पर करोड़ों रुपया बतौर फंड दिया जा रहा है जिसे तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए।

शर्मा की इस याचिका पर कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा और यू.यू. ललित के बेंच ने जवाब देते हुए कहा है कि जब तक कोई शख्श आरोपी सिद्ध न हो जाये तब तक उसे आतंकी या कोई ऐसे नाम से नहीं पुकारा जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जहाँ तक हुर्रियत और अलगाववादियों को पैसा दिए जाने की बात है हमें नहीं लगता कि सरकार के इस काम में हमें दखअंदाज़ी करनी चाहिए क्योंकि केंद्र और सेना हमसे बेहतर जानती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हिट के लिए उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।