आतंकवाद के मामले में अंजार शाह को दिल्ली की एक अदालत ने रिहा किया, 2016 में हुए थे गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को एक आतंकवादी मामले में बंगलौर के मौलाना अंजार शाह कासमी को रिहा कर दिया है। जनवरी 2016 से मौलाना कासमी सलाखों के पीछे थे, उन्हें कर्नाटक की राजधानी से गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने दावा किया था कि कासमी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल थे और युवाओं को ऐसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसा रहे थे और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ उनका संबंध था।

पुलिस ने दावा किया कि अल-कायदा के भारतीय उपमहाद्वीप नेटवर्क से जुड़े आतंकवादी संदिग्धों की पूछताछ के दौरान एकत्रित जानकारी के आधार पर कासमी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर यह भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ज्वलंत और घृणास्पद भाषण दिया और युवाओं को भड़काया।

कासमी के वकील एम.एस. खान के अनुसार, दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सिद्धार्थ शर्मा ने मामले में सभी आरोपों से मौलाना कास्मी को बरी कर दिया।

स्पेशल सेल ने जून 2016 में मौलाना कास्मी और चार अन्य आरोपी अब्दुल सामी, जफर मसूद, अब्दुल रहमान और मोहम्मद आसिफ के खिलाफ जून 2016 में चार्जशीट दायर की थी।

वकील के अनुसार, जबकि मौलाना कासिम को सभी मामलों से बरी कर दिया गया है, वहीं चार अन्य आरोपियों को मुकदमा का सामना करना होगा।

गिरफ्तारी (6 जनवरी 2016) के तुरंत बाद, उनके सबसे बड़े बेटे, फौजान शाह, 28, ने कहा था कि उनके पिता निर्दोष थे और अदालत ने उन्हें अब रिहा कर दिया है।

फौजान ने कहा, “यह हमारे परिवार पर गिरने वाले पहाड़ की तरह है और हम सभी इससे चौंक गए हैं। मुझे पूरा यकीन है कि मेरे पिता निर्दोष हैं और उन्हें फसाया गया है। अलकायदा एक बड़ा नाम है और मेरे पिता के पास किसी भी आतंकवादी मॉड्यूल के साथ कोई संबंध नहीं था और मुझे यकीन है कि वह वापस आ जायेंगे।”

दारूल उलूम देवबंद के छात्र, मौलाना अंजार कास्मी बैंगलोर के शिवाजीनगर के मूल के थे और इमाम के रूप में विभिन्न मस्जिदों में थे। गिरफ्तारी के समय, वह बंगलौर के बनशंकर में मक्का मस्जिद में इमाम और खतिब के रूप में काम कर रहे थे। उनके भाषण कर्नाटक और अन्य राज्यों के मुसलमानों में बहुत लोकप्रिय थे और उनके भाषणों की सीडी बाजार में बेची भी जाती थी।