आतंकवाद का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं, इस्लामिक आतंकवाद एक प्रोपेगेंडा है- बराक ओबामा

 

फ़हद सईद

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘इस्लामी आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि ये शब्द महज एक प्रोपेगेंडा है। बेकसूर इंसानों की जान लेने वालों के साथ इस्लाम को जोड़ने के पीछे कोई दलील नहीं दी जा सकती। ओबामा ने वर्जीनिया में एक सैन्य टाउन हाल स्पीच देते हुए ये बात कही। ओबामा ने कहा कि सच्चाई यह है कि यह एक तरीके से गढ़ा गया मुद्दा है क्योंकि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि अलकायदा या आईएसआईएल जैसे आतंकवादी संगठनों ने मूल रूप से बर्बरता एवं मौत को सही ठहराने के लिए तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा है और इस्लाम के ठेकेदार होने का दावा करने की कोशिश की है।

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दुनिया भर इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाने वालें लोगों के बारे में कहते हैं,’ ये ऐसे लोग है जो बच्चों की हत्या करते हैं, मुसलमानों की जान लेते हैं और यौन दासियां बनाते हैं। अपनी किये जायज़ ठहराने के लिए इस्लाम को तरोड़- मरोड़ कर पेश करते हैं।’ हमें दुनिया को ये संदेश देना होगा इन ‘हत्यारों’ को इस्लाम से या दुनिया भर के मुस्लिमों से नहीं जोड़ा जाये। आईएसआईएल या अलकायदा के गलत कृत्य के लिए मुसलमान जिम्मेदार नहीं है और ना ही ऐसे संगठनों के सर्मथक। मुस्लिम इस देश की सेना में हैं, पुलिस अधिकारी हैं, दमकलकर्मी हैं, शिक्षक हैं, पड़ोसी हैं और मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी हैं।

ओबामा अपनी स्पीच में कहते हैं कि मैंने अमेरिका और विदेश में स्थित इनमें से कुछ मुस्लिम परिवारों से बात करके यह पाया है कि जब आप इन संगठनों को ‘इस्लामी आतंकवादी’ कहना शुरू कर देते हैं, तो विश्व में यह संदेश जाता है में हमारे मित्र इस्लाम धर्म ही अपनेआप में आतंकवाद को बढ़ावा और शह देता है लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। बराक ओबामा कहते है जब आतंकवाद का सहारा लेकर इस्लाम पर हमला किया जाता है तो ऐसी लगता है ये हमला मुझ पर किया जा रहा है। ऐसी हालात में हमें आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई मुस्लिमों का सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं। जब कि हम खुद आतंकवाद से जोड़कर उन्हें दुनिया अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं।

रिपब्लिकन पार्टी के अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर तंज कसते हुए ओबामा ने कहा कि राष्ट्रपति बनने के ‘इच्छुक’ कुछ लोगों को भी इस प्रकार की भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसे जिम्मेदार पद के उम्मीदवार जब ऐसी भाषा बोलते हैं तो हालात और खराब हो जाते हैं।