नई दिल्ली: ब्रिक्स घोषणा में सीमा पार आतंकवाद का संदर्भ जोड़ने में विफल हो जाने से संबंधित जारी आलोचनाओं को खारिज करते हुए सरकार ने आज कहा कि शिखर बैठक ने यह मान लिया है कि इससे बढ़कर कोई वैश्विक चुनौती मौजूदा तौर नहीं जो राज्यों और सरकारी संरक्षण से आतंकवाद के परोक्ष रूप में हो रहा है और यह भी कि इस मोर्चे पर हालात पहले जैसे नहीं रहेंगे। मंत्री विदेश सुषमा स्वराज ने कहा कि आतंकवाद का खतरा गोवा में आयोजित हाल शिखर सम्मेलन विषय बना और सब ने यह माना कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अगर इसे नजरअंदाज करती है तो उसे नुकसान उठाना पड़ेगा।
उन्होंने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान का हवाला देते हुए कहा कि इन तत्वों से जो आतंकवाद के लिए आश्रय स्थल प्रदान करते हैं या समर्थन करते हैं या फिर उसके संरक्षण करते हैं, उनसे हर्जाना प्राप्त होगा। इसके अलावा ‘अच्छे और खराब आतंकवादियों’ के बीच ” गलतज़” काईम करने का जो प्रवृत्ति चल पड़ा है उसका भी मुकाबला करना होगा।
बीमस्टिक देशों और पाकिस्तान के बीच मौन तुलनात्मक करते हुए सुषमा ने कहा कि आज क्षेत्रीय ब्लॉक ऐसे समूह का प्रतिनिधित्व कर रहा है जो आतंकवाद से प्रभावित शासन का सबब बनता है। सुषमा ने यहां ब्रिक्स मीडिया फोरम में अपने संबोधन के दौरान कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि यह आम सहमति तेजी से बढ़ावा पा रहा है कि अब हालात पहले जैसे नहीं होंगे, हमें आतंकवादियों के संरक्षण या किसी भी तरह से समर्थन करने वालों से इन प्रक्रियाओं के परिणाम में होने वाले नुकसान का हर्जाना प्राप्त होगा, चाहे इसके लिए कुछ भी पेश करें।
मंत्री विदेश कहा कि ब्रेक शुरू से अपने तरीके से प्रदर्शन में वैश्विक रोष पर चल रहा है और आज उससे बड़ा कोई वैश्विक चुनौती का सामना करना पड़ा नहीं कि कुछ मुल्क और सरकारें आतंकवाद संरक्षण करने लगी हैं। सार्क में परिवहन और संपर्क से संबंधित कई समझौतों तक पाकिस्तान की पहुंच को रोक देने का स्पष्ट संकेत देते हुए सुषमा ने कहा कि भारत सरकार बीमस्टिक के क्षेत्रीय समूह के साथ गहरे संबंध में काम करते हुए समय की जरूरत के अनुसार कार्य करेगा।
इस क्षेत्रीय समूह के सदस्यों में बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल शामिल हैं।