आतंकवाद के इल्ज़ामों से बेगुनाह साबित हुए आमिर के लिये मानवअधिकार आयोग ने मांगा मुआवज़ा

 नई दिल्ली, 12 जनवरी। जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जेल में गंवा चुके मोहम्मद आमिर के लिये राष्ट्रीय मानवअधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार से मुआवजा मांगा है। मानव अधिकार आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी करके दिल्ली सरकार से पूछा है कि आतंकवाद के इल्जामों से बरी हुए मोहम्मद आमिर को मुआवज़ा क्यों नहीं दिया जाए?

दिल्ली सरकार को जारी नोटिस में राष्ट्रीय मानवअधिकार आयोग ने कहा है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी नागरिकों की अधिकारों की रक्षा करे। ऐसे में जब आमिर की पूरी ज़िंदगी आतंकवाद के गलत आरोप की वजह से पटरी से उतर गई हो, सरकार का फर्ज बनता है कि उनके मदद के लिए आगे जरुर आना चाहिए।

नोटिस में सरकार से आमिर के लिये 5 लाख का मुआवजे़ की मांग रखी है। फिलहाल दिल्ली सरकार के पास इस नोटिस का जवाब देने के लिए 6 हफ्ते हैं।

क्या हुआ था आमिर के साथ-

सिस्टम की गलत अवधारणा और चूक की वजह से आमिर को 14 साल जेल में बितानी पड़ी। 20 फरवरी साल 1998 को दिल्ली पुलिस ने अगवा कर लिया था। उस वक्त आमिर की उम्र 18 साल थी। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में 1996-97 में हुए बम धमाकों का आरोपी बना दिया गया है। केस इतना भारी था कि आमिर को बेल मिलना भी मुश्किल हो गया।

14 साल वह जेल में रहते हुए खुद को बेगुनाह साबित करने की अदालती लड़ाई लड़ी। अंतत: आमिर को 2012 में आमिर को सभी आरोपों से बरी हुए जेल से उन्हें रिहाई मिली। इस इंसाफ पाने की जद्दोजहद अपने वालिद को खो दिया। कैरियर बनाने की उम्र जेल में गंवा दी। अपनी घर की बड़ी जमा पूंजी अदालती कार्यवायी में खपा दी।

सियासत से बात करते हुए आमिर कहते हैं कि पहले तो मैं मानव अधिकार आयोग के इस कदम का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। हालांकि रकम चाहे कितनी भी बड़ी हो 14 साल का वक्त लौटाने की ताकत नहीं रखती है। मैं चाहुंगा दिल्ली सरकार मुझे पैसा देने के बजाय मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट और इंटीग्रिटी का ख्याल रखते हुए सरकारी नौकरी दे। जो बीत गया सो बीत गया उस वक्त को खोजने मैं पीछे नहीं चल सकता, अब मुझे आगे ही चलना है और जिंदगी आत्मसम्मान के साथ भी जीना है।

आमिर कहते हैं कि ये कैसी विंडबना है खुद से सरेंडर करने वाले आतंकवादियों को लिये सरकार का रिहेब्लीशेन सेंटर मुहैया कराती है लेकिन उनके लिए कुछ नहीं जो सिस्टम की गलतियों की वजह से आतंकवादी साबित होते हैं।