एक पारलीमानी पैनल ने वज़ारत-ए-दिफ़ा और हुकूमत को आदर्श सुसाइटी घोटाले पर ज़बर्दस्त तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि कई आफ़िसरान ने अपने इख़्तयारात और ओहदों का नाजायज़ इस्तिमाल करते हुए हर सतह पर तारीख़ी नाकामियाँ पाए गए हैं।
लोक सभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (PAC) बराए आदर्श अस्क़ाम, ने वज़ाहत की कि आफ़िसरान के एक ग्रुप ने जो कलीदी ओहदों पर फ़ाइज़ था, अपने इख़्तयारात का नाजायज़ फ़ायदा उठाते हुए उसूल-ओ-ज़वाबत को बालाए ताक़ रख दिया।
यही नहीं बल्कि उन्होंने साबिक़ फ़ौजियों, शहीद फ़ौजियों और बेवा और बच्चों की फ़लाह-ओ-बहबूद का भी ख़्याल नहीं किया और हक़ायक़ से नजरें बंद की, जिस का नतीजा ये हुआ कि हक़दार हक़ से महरूम होगए और जिन लोगों के असरोरसूख़ और शामिल बाइख़तियार लोगों से थे, उन्होंने आदर्श बिल्डिंग में फ्लैट्स हासिल करलिए।