आदर्श हाउज़िंग सोसायटी स्क़ाम में मुलव्वस सात मुल्ज़िमीन (अपराधीयों) बिशमोल (जिसमें) चीफ़ प्रोमोटर और साबिक़ कांग्रेसी एम एल सी कंहैया लाल गिडवानी की ख़ुसूसी अदालत ने ज़मानत मंज़ूर कर ली ।
तमाम मुल्ज़िमीन (अपराधीयों) को पाँच लाख रुपये फी कस के शख़्सी मुचल्का पर बरी किया गया और हिदायत दी गई है कि वो हर मंगल और जुमेरात को सी बी आई के मुंबई दफ़्तर में हाज़िरी दें । नौ मुल्ज़िमीन के मिनजुमला जिन सात मुल्ज़िमीन की ज़मानत मंज़ूर की गई है इनमें आई ए एस आफीसर प्रदीप व्यास , एन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के साबिक़ डिप्टी सेक्रेटरी पी वे देशमुख , ब्रीगेडीयर (रिटायर्ड ) एम एम वाँचू ,रिटायर्ड डीफेंस स्टेट्स आफीसर आर सी ठाकुर ,मेजर जनरल (रिटायर्ड ) ए आर कुमार ,मीचर जनरल (रिटायर्ड ) टी के कोल और साबिक़ एम एल सी कंहैया लाल गिडवानी शामिल हैं ।
तमाम मुल्ज़िमीन पर ताज़ीरात-ए-हिंद के इंसिदाद बदउनवानी (नियम के खिलाफ/ विरुद्वता)और बेनामी मुआमलत (परोहबीशन/prohibition act) एक्ट के तहत फ़ौजदारी साज़िश के तहत इल्ज़ामात आइद किए गए हैं ।
तमाम मुल्ज़िमीन ने ये इस्तिदलाल ( दलील/ प्रमाण) पेश करते हुए ज़मानत की दरख़ास्त दाख़िल की थी कि सी बी आई ने मुक़र्ररा वक़्त यानी अंदरून 60 यौम भी फ़र्द-ए-जुर्म (अभीयोग पत्र) का इदख़ाल ( प्रवेश/ जमा) नहीं किया है लिहाज़ा उन्हें ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहीए ।
हालाँकि सी बी आई ने ज़मानत मंज़ूर किए जाने की शदीद मुख़ालिफ़त (शख्त निंदा) की है । दूसरी तरफ़ प्रासीक्यूटर भरत बादामी ने अदालत को बताया कि तमाम मुल्ज़िमीन के दस्तख़त के नमूने हासिल किए गए हैं और उन्हें तजज़िया ( अलग अलग करके जाँच) के लिए भेजा गया है ।
सी बी आई भी कोशां ( कोशिश में) है कि ऐसे सुबूत हासिल किए जाएं जिन की बुनियाद पर मुल्ज़िमीन को 409 और 467 ताज़ीरात-ए-हिंद के तहत कुसूरवार ठहराया जा सके । याद रहे कि 32 मंज़िला इमारत में फ्लैट्स के अलाटमेंट में बे क़ाईदगियों के मुआमला के मंज़रे आम पर आने के बाद हर कोई अनगश्त बदनिदां रह गया था क्योंकि मुंबई के पास इलाक़ा क़ुल्लाबा में मज़कूरा ( कथित/ कही हुई) इमारत कारगिल जंग के शहीदों के अरकान ख़ानदान के लिए तामीर की गई थी ।