आदाद-ओ-शुमार में ग़लतीयों का सख़्त नोट, पारलीमानी पैनल

सनअती पैदावार और बरामदाती आदाद-ओ-शुमार में ग़लती पर तशवीश का इज़हार करते हुए पारलीमानी कमेटी ने आज़ादाना तहक़ीक़ात की हिमायत की और कहा कि अहम मआशी आदाद-ओ-शुमार की ग़लती की वजह से सारे मुल्क का इमेज बुरी तरह ख़राब हुआ है।

स्टैंडिंग कमेटी बराए फायनेंस ने सनअती पैदावार ईशारीया के आदाद-ओ-शुमार बराए जनवरी पर नज़रसानी के पस-ए-मंज़र में ये रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया। कमेटी ने कहा कि आदाद-ओ-शुमार में संगीन ग़लतीयों की वजह से ना सिर्फ हुकूमत बल्कि सारे मुल़्क की इमेज को मनफ़ी अंदाज़ में समझा गया। इस ताल्लुक़ से कमेटी की रिपोर्ट आज पार्लीमेंट में पेश की गई।

साबिक़ वज़ीर फायनेंस-ओ-सीनीयर बी जे पी लीडर यशवंत सिन्हा की ज़ेर-ए-क़ियादत इस कमेटी ने आदाद-ओ-शुमार की ग़लतीयों की आज़ादाना तहक़ीक़ात पर ज़ोर दिया है और बताया कि लापरवाही का अंदाज़ा इस हक़ीक़त से लगाया जा सकता है कि कमेटी को ये रिपोर्ट 3 माह में दस्तयाब हुई।

वज़ीर फायनेंस परनब मुकर्जी ने भी इन आदाद-ओ-शुमार के बारे में तहफ़्फुज़ात का इज़हार करते हुए मुताल्लिक़ा हुक्काम को हिदायत दी थी कि वो इसका जायज़ा लें। तिजारती आदाद-ओ-शुमार के हवाले से वज़ारत कामर्स ने अप्रैल से अक्टूबर 2011 12‍ में बरामदात को 8.8 बिलीयन कम करदिया और ये 171 बिलीयन रही जबकि इस से पहले 179.8 बिलीयन क़रार दिया गया था। वज़ारत ने उसे इंसानी और कम्पयूटर की ग़लती क़रार दिया था।