मुंबई।[सीयासत न्युज ब्युरो] जरूरतमंद आदिवासियों को मकान देने के मामले में लोकलेखा कमीटी ने आदिवासीयो के कामकाज पर कड़ी नाराजगी जाहिर कि है।कमीटी ने मुजरीम अफसरो के खिलाफ सखत कार्रवाई की सिफारिश भी की है। शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सेशनों में पेश की गई कमीटी की तेरहवीं रिपोर्ट में यह बताया गया है कि घरकुल स्किम के लिए रकम तय होने के बावजूद जरूरतान्दो को मकान नहीं दिये गये। इसी तरह इस स्कीम में शामिल मकानों कि तादाद में 125 घरों कि गडबडी पाई गइ है।
लापरवाही के लिए आदिवासी कामकाज के अफसरो को जिम्मेदार ठहराया गया है। जलगांव की यावल तहसील की घरकुल स्कीम की फाइल गायब होने के मामले को लेकर रिपोर्ट में इस मे मुलव्वीस अफसरो के खिलाफ सखत कार्रवाई की सिफारिश की गई है और तीन माह में इसकी रिपोर्ट कमीटी को भेजे जाने के लिए कहा गया है। राज्य में इंदिरा गांधी हाउसीनग स्कीम के तहत आदिवासियों को 2007-08 में 568 मकान बनाकर देने के लिए 4 करोड़ 45 लाख रुपए पास किए गए थे। इनमें गड़चिरोली की अहेरी, जलगांव-यावल, नंदुरबार-तलोदा और ठाणे की जव्हार तहसील शामिल हैं।
आदिवासी कमीटी ने हाउसीनग स्कीम के लिए डीआरडीए को यह रकम दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक रकम मंजूर होने के बाद भी मकानों का काम पूरा नहीं हुआ। यहीं नहीं 183 मकानों का काम शुरू भी नहीं हो सका।
रिपोर्ट के मुताबिक 2006 में मकानों का लागत खर्च 60 हजार रुपए था, जिसे बढ़ाकर एक लाख रुपए पर एक मकान किया गया। महालेखापाल ने नाराजगी जताई थी कि सरकार की तरफ से स्कीम का मसौदा न भेजे जाने से मञुर शुदा रकम बिना इस्तेमाल पड़ी रही और कई जरूरत मन्दो कि जरूरते पुरी नहि होसकी।