नई दिल्ली 12 मार्च: लोक सभा ने आधार बिल को रुकमी बिल के तौर पर मंज़ूर कर लिया जबकि अप्पोज़ीशन के एतराज़ात मुस्तर्द कर दिए गए। उसे नदाई वोट के ज़रीये मंज़ूर किया गया।
ये बिल हुकूमती रियाइतों और फ़वाइद की मुंतकली के लिए मुनफ़रद शनाख़ती नंबर (आधार) को क़ानूनी ताईद-ओ-हिमायत फ़राहम करती है। वज़ीर फाइनैंस अरूण जेटली ने कहा कि ख़ामीयों को दूर करते हुए हज़ारों करोड़ रुपये बचाए जा सकें गे। उन्होंने अप्पोज़ीशन का ये मुतालिबा मुस्तर्द कर दिया कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी से रुजू किया जाये। ये बात भी क़बूल नहीं की के आधार को उमूमी निगरानी और नसली सफ़ाई के लिए मुम्किना तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
कांग्रेस के ये एतेराज़ को मुस्तर्द करते हुए कि इस क़ानूनसाज़ी को रुकमी बिल में तबदील किया गया जिसका मक़सद राज्य सभा में वोटिंग से बचना है जहां हुकूमत को अक्सरीयत हासिल नहीं, वज़ीर फाइनैंस ने कहा कि आधार हक़ीक़ी मअनी में रुकमी बिल है। उन्होंने आधार बिल 2016पर मुख़्तसर मबाहिस का जवाब देते हुए कहा कि ये बिल रियासतों को इख़तियार देगा कि रियासत के वसाइल को मुस्तहिक़ लोगों में तक़सीम करें और वो वसाइल बचाएं जो ग़ैर मुस्तहिक़ लोग हासिल कर जाते हैं।
इस बिल का असर मर्कज़ और रियासती हुकूमतों पर पड़ेगा जिससे हज़ारों करोड़ रुपये की बचत होगी। आधार को रुकमी बिल के तौर पर मुतआरिफ़ कराने की फ़ायदा करते हुए वज़ीर मौसूफ़ ने कहा कि कोई क़ानूनसाज़ी जिसके नतीजे में रक़म सरकारी ख़ज़ाने में जाती और वहां से निकलती है, रुकमी बिल क़रार पाता है।