नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो अब तक यह मानता रहा है कि किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या के पीछे गरीबी, कर्ज और खेती से जुड़ी समस्याएं मुख्य वजह हैं।
लेकिन लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने एक अलग ही राग छेड़ दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों में चूंंकि आध्यात्म की कमी होती है इसलिए वे आत्महत्या करते हैं।
रविशंकर ने शनिवार को कहा कि आध्यात्म की कमी की वजह से किसान खुदकुशी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने विदर्भ के 512 गांवों में पैदल यात्रा करने के बाद पाया कि सिर्फ गरीबी ही किसानों की खुदकुशी का कारण नहीं है बल्कि उनमें आध्यात्म की भारी कमी होती है।
उन्होंने विदर्भ में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, “मैं इन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों से अपील करता हूं कि वे किसानों में आत्महत्या की मनोवृत्ति को खत्म करने के लिए योग और प्राणयाम को बढ़ावा दें।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का एक रिपोर्ट कहता है कि साल 2015 में सूखे और कर्ज की वजह से 12602 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की।
ब्यूरो ने बीते 30 दिसंबर को ‘एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया 2015’ नामक अपने रिपोर्ट में कहा था कि साल 2014 के मुकाबले 2015 में किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या में दो फीसद की बढ़ोतरी हुई। साल 2014 में 12360 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी जो एक साल बढ़कर 12602 हो गई।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि किसानों के कुल मौतों में तकरीबन 87.5 फीसदी केवल सात राज्यों में हुई। सबसे अधिक आत्माहत्या महाराष्ट्र में 4291, उसके बाद कर्नाटक में 1569, तेलंगाना में 1400, मध्यप्रदेश में 1290, छत्तीसगढ़ में 954, आंध्रप्रदेश में 916) और तमिलनाडु में 606 हुईं।
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2015 में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 12602 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें 8007 किसान और 4595 कृषि मजदूर थे।
वहीं साल 2014 में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 5650 और 6710 कृषि मजदूरों की थी। इस तरह देखा जाए तो किसानों की आत्महत्या में 42 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं कृषि मजदूरों की आत्महत्या की दर में 31.5 फीसदी की कमी आई।