आनंदी बेन पटेल ने आज दोपहर गुजरात की पहली ख़ातून वज़ीर-ए-आला होने का एज़ाज़ हासिल करते हुए ओहदा और राज़दारी का हल्फ़ लिया। गवर्नर कमला बेनीवाल ने उन्हें हल्फ़ दिलाया। उस वक़्त शह नशीन पर उनके पेशरू नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।
उनके इलावा बी जे पी के दीगर सीनियर क़ाइदीन जैसे एल के अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, अरूण जेटली और पार्टी सदर राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। गांधी नगर के महात्मा मंदिर में 72 साला ख़ातून वज़ीर-ए-आला की रस्म हल्फ़ बर्दारी के वक़्त पूरा हाल खचाखच भरा हुआ था।
मोदी ने कल 12 साल तक गुजरात के वज़ीर-ए-आला के ओहदा पर फ़ाइज़ रहने के बाद इस्तीफ़ा देदिया जिसके बाद पार्टी लेजिस्लेचर्स ने आनंदी बेन पटेल को अपना आइन्दा क़ाइद मुंतख़ब किया। याद रहे कि गुजरात में आनंदी बेन पटेल और अमीत शाह को मोदी के दाएं और बाएं हाथ से ताबीर किया जाता था।
इंतिख़ाबी मुहिम के दौरान जब नरेंद्र मोदी रियासत गुजरात से दूर थे उस वक़्त अमीत शाह ने उनके साथ मुहिम्मात में शिरकत करते हुए उनकी कामयाबी को यक़ीनी बनाया तो दूसरी तरफ़ आनंदी बेन पटेल ने नरेंद्र मोदी की ग़ैरमौजूदगी में रीवैन्यू मिनिस्टर की हैसियत से गुजरात हुकूमत को कामयाबी से चलाने का काम अंजाम दिया।
उन्हें एक काबिल ऐडमिनिस्ट्रेटर तसव्वुर किया जाता है। हल्फ़ बर्दारी के बाद अपनी तक़रीर के दौरान उन्होंने जज़बाती अंदाज़ में कहा कि हमारे तमाम अज़ीज़ क़ाइदीन दिल्ली जा रहे हैं। इस मौके पर जहां ख़ुशी होरही है वहीं दूसरी तरफ़ ग़म भी होरहा है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि आज हमारी आँखों से उनकी जुदाई के बाद आँसू निकल रहे हैं लेकिन मोदी अब पूरे मुल्क की अवाम के आँसू पोंछने जा रहे हैं जो यक़ीनी तौर पर एक अच्छी अलामत है।
नरेंद्र मोदी ने भी आनंदी बेन को मुस्कुराते हुए बताया कि चीफ़ मिनिस्टर के दफ़्तर में कोई भी फाईल ज़ेर-ए-इलतिवा नहीं है और ना ही उन पर (आनंदी) काम का ज़ाइद बोझ आइद होगा। वैसे आनंदी बेन ख़ुद भी एक मेहनती क़ाइद हैं और उनकी क़ियादत में गुजरात तरक़्क़ी की राह पर आगे ही बढ़ता रहेगा। आनंदी बेन का रियासती असेंबली के लिए 2012 में अहमदाबाद के घटलोडया हलक़ा राय दही से इंतिख़ाब अमल में आया था जहां उन्होंने अपने हरीफ़ उम्मीदवार को 1.10 लाख वोटों से मात दी थी।