आने वाले उपचुनाव में बीजेपी की हार हुई तो मोदी सरकार हो जायेगी बहुमत से दूर!

गोरखपुर और फूलपुर में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद पांच और उपचुनाव के लिए जंग का मैदान तैयार हो रहा है। खास बात यह है कि 282 सीटों से सिमटकर 274 पर पहुंची भाजपा को यदि इन चुनाव में पटखनी मिलती है तो न सिर्फ लोकसभा में साधारण बहुमत से वह नीचे खिसक जाएगी, बल्कि विजयरथ पर सवार सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं का मनोबल भी धरातल पर आ जाएगा।

यही नहीं, उपचुनाव में लगातार मिल रही हार के बाद विपक्ष की पार्टियां भी आक्रामक रुख के साथ जनता में यह संदेश देने की कोशिश करेंगी कि भाजपा की वायदा खिलाफ से देशभर में भाजपा विरोध की लहर दौड़ रही है।

यहां बता दें कि जल्द ही पांच सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा चुनाव आयेाग कर सकता है। जिन पांच जगह चुनाव होने हैं उनमें से तीन सीटों पर 2014 में भाजपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। यह सीटें हैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कैराना, महाराष्ट्र की पालघर और भंडारा गोदिया हैं।

इसमें सबसे दिलचस्प मुकाबला कैराना में होने की उम्मीद लगाई जा रही है। दरसअल, बदले हुए चुनावी समीकरण के बीच यह सीट जीतना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित होने जा रहा है।

भाजपा रणनीतिकार भी मानते हैं कि कैराना का उपचुनाव भाजपा के विकास, भ्रष्टाचार और विचारधारा की लड़ाई के बजाय जातीय समीकरण और ध्रुवीकरण की जंग पर आधारित होगा।

वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र की दो सीटें भी भाजपा के विकास के नारे की परीक्षा के लिए तैयार हैं। खास बात यह है कि यहां कांग्रेस शरद पवार के साथ गठबंधन के प्रयास में जुटी हुई है।

दूसरी तरफ शिवसेना में पहले से ही भाजपा विरोध के सुर फूट चुके हैं। जिसका समर्थन भाजपा को मिलने की उम्मीदें कम ही नजर आ रही हैं। ऐसे में गोदिया और पालघर सीटों पर कब्जा बरकरार रखना भाजपा के लिए चुनौती भरा साबित हो सकता है।

इसके अलावा बची हुई दो अन्य सीटें भाजपा के सहयोगी दलों के पास हैं। इसमें एक सीट जहां जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की महबूबा मुफ्ती के द्वारा खाली की गई है, जबकि दूसरी सीट नगालैंड में हाल ही में मुख्यमंत्री बने नेफ्यू रियो द्वारा इस्तीफा दिए जाने से खाली हुई है। जाहिर है इन दोनों सीटों पर इन्हीं दलों के प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे, जहां भाजपा के लिए सीधी चुनौती नहीं होगी।

सौजन्य- पंजाब केसरी