राज्यसभा में आज बोलते हुए इख्तिलाफ़ी-रहनुमा ग़ुलाम नबी आज़ाद ने हुकूमत पर निशाना साधते हुए कहा कि आप आइन की बात करते हुए जर्मनी के तानाशाह हिटलर की बात कर सकते हैं लेकिन हम पंडित नेहरु की बात नहीं कर सकते- ये असहिष्णुता है .
उन्होंने सवाल किया कि 26 नवम्बर को आख़िर मनाने के क्या मा’नी हैं ? ये ना तो आज़ादी का दिन है और ना ही जम्हूरिया का दिन .हम सब जानते हैं कि सरकार फिर से तारीख़ लिखने की कोशिश कर रही है . पूरा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था ना कि 26 नवम्बर 1949 को.
उन्होंने हुकूमत पे समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव ब्लास्ट के गुनाहगारों को सज़ा दिलवाने के लिए दबाव डाला
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