आमंगल के तालाब में एक ही ख़ानदान के 7 अफ़राद ग़र्क़ाब

एक ही ख़ानदान के 7 अफ़राद चार ख़वातीन की चरीकुंडा तालाब वाक़्ये आमंगल, ज़िला महबूबनगर में ग़ुर्क़ाबी का इंतेहाई अफ़सोसनाक वाक़िया पेश आया।

महलोकीन का ताल्लुक़ हैदराबाद से है। तफ़सीलात के मुताबिक़ हाशिमाबाद अलजबील कॉलोनी से ताल्लुक़ रखने वाले बाबू मियां के अफ़रादे ख़ानदान अपने अज़ीज़-ओ-अका़रिब से मुलाक़ात के लिए मंगल को आमंगल के मौज़ा मेडवीन पहुंचे। वहां कुछ देर के बाद मेहमान मुजीब के मकान से तमाम लोग तफ़रीह के लिए चरीकुंडा तालाब गए।

उस वक़्त 10 साला मुस्कान नामी लड़की जो तैराकी से नावाक़िफ़ थी तालाब में उतरी और देखते ही देखते वो डूबने लगी। इस ने अपने घर वालों को मदद के लिए पुकारा, उसे डूबता देख कर 18 साला मोना बेगम भी तालाब में कूद गईं लेकिन वो भी तैरना नहीं जानती थी उस वक़्त तक अफ़रातफ़री का आलम पैदा होगया था और इन दोनों को बचाने के लिए 16 साला मसर्रत बेगम (इंटर फ़रस्ट ईयर तालिबा) भी तालाब में कूद पड़ी लेकिन वो भी तैरना नहीं जानती थी और तीन अफ़रादे ख़ानदान को मदद के लिए पुकारता हुआ देख कर 15साला रुक़य्या बेगम भी तालाब में कूद पड़ी। इस तरह 4 अफ़राद पानी में डूबने लगे और उन्हें बचाने के लिए 20 साला मुहम्मद सलमान तालाब में कूद गए। वाज़िह रहे के सलमान की छः माह पहले मोना बेगम से शादी हुई थी। इस वाक़िये का अफ़सोसनाक पहलू ये रहा कि कोई भी शख़्स तैराकी से वाक़िफ़ नहीं था और अपने घर वालों को पानी में डूबता देख कर बचाने की कोशिश करने लगे चुनांचे मुहम्मद सलमान के बाद 30 साला मुहम्मद बासित और उन के बाद 18 साला अबदुर्रहमान भी यके बाद पानी में कूद पड़े और सब एक दूसरे को बचाने की कोशिश में ग़र्क़ होगए।

मुहम्मद बासित की भी एक साल पहले ही शादी हुई थी लेकिन उनकी अहलिया उस वक़्त उनके साथ नहीं थीं। हैदराबाद से जाने वाले मेहमानों और मेज़बानों में 13अफ़राद शामिल थे। एक और लड़की नुसरत फ़ातिमा जो पानी में घर गई थीं लेकिन किसी तरह वो बच निकलने में कामयाब होगईं। इस तरह बाबू मियां जो उस्मानिया हॉस्पिटल के मुलाज़िम हैं, उनकी दो लड़कीयां, दामाद और दो बेटे तालाब में ग़र्क़ाब होगए। बादअज़ां चीख़ वपकार सुन कर राहगीर उन्हें बचाने के लिए पानी में कूद पड़े इस के अलावा उन्होंने घर वालों को इत्तेला दी। ओहदेदारों ने पोस्टमार्टम के बाद लशें लवाहिक़ीन के हवाले कीं। रात देर गए महलूक अफ़राद ख़ानदान की लाशें हैदराबाद लाई गई थीं जहां रंज-ओ-अंदोह का आलम था।