मुल्क में अवाम ख़ुद को गैर महफ़ूज़ तसव्वुर कर रहे हैं? अगर नहीं तो फिर क्यों देसी साख़्ता गैर कानूनी असलहा की फ़रोख़्त में इज़ाफ़ा होता जा रहा है? एक गैर सरकारी तंज़ीम की जानिब से किए गए सर्वे के मुताबिक़ हिंदुस्तान भर में 60 लाख से ज़ाइद गैर कानूनी असलहा मौजूद है जिस को ऐसे लोग इस्तेमाल करते हैं जो गैर कानूनी सरगर्मियों में मुलव्विस हैं यह फिर अदम तहफ़्फ़ुज़ का शिकार बने हुए हैं जब कभी बड़े पैमाने पर फ़िर्कावाराना फ़सादाद होते हैं तो इस के फ़ौरी बाद असलहा साज़ों की बन आती है और देसी साख़्ता पिस्तौल और दीगर असलहा फ़रोख़्त होने लगता है।
मुल्क में उत्तर प्रदेश और बिहार ऐसी रियासतें हैं जहां से मुल्क भर में असलहा स्मगल किया जाता है। बताया जाता है कि फ़िर्कावाराना फ़सादाद के बाद पैदा होने वाले अदम तहफ़्फ़ुज़ के एहसास में मुबतला लोग भी इस असलहा की खरीदी में मुलव्विस हो जाते हैं चूँकि उन्हें बाआसानी लाईसेंस वाले हथियार हासिल करना इंतिहाई दुशवार कुन होता है।
गैर कानूनी हथियार गुजरात और मुज़फ़्फ़र नगर जैसे फ़सादाद में भी इस्तेमाल किए जाते हैं और ये हथियार दहशत गर्दों को भी बाआसानी दस्तयाब हो जाते हैं। हुकूमतों को चाहीए कि वो फ़िर्कावाराना तशद्दुद फैलाने वालों के इलावा ऐसे गुंडा अनासिर पर कंट्रोल करे जो आतिशी असलहा के इस्तेमाल के ज़रीए अवाम पर ज़ुलम और ज़बरदस्ती करते हैं।