आयकर विभाग ने हचिसन होल्डिंग्स लिमिटेड पर ठोका 32,320 करोड़ रुपये का दावा

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने सीके हचिसन होल्डिंग्स लिमिटेड की एक इकाई पर वोडाफोन के साथ उसके एक दशक पुराने सौदे पर 32,320 करोड़ रुपये का दावा ठोका है। हॉन्ग कॉन्ग के अरबपति उद्यमी ली का-शिंग के हचिसन समूह की दूर संचार इकाई हचिसन टेलिकम्यूनिकेशन्ज़ इंटरनैशनल लिमिटेड इकाई ने भारत में मोबाइल फोन कारोबार के संयुक्त उद्यम में अपनी हिस्सेदारी 2007 में ब्रिटेन के वोडाफोन ग्रुप पीएलसी को बेची थी। उस सौदे में हचिसन को हुए पूंजीगत लाभ कर को चुकाने के मामले में संबंधित पक्षों में विवाद चल रहा है।

उसकी इकाई हचिसन टेलिकम्यूनिकेशन्ज़ इंटरनैशनल लिमिटेड को 7900 करोड़ रुपये टैक्स, 16430 करोड़ रुपये इंट्रेस्ट और 7900 करोड़ रुपये की पेनल्टी के रूप में अदा करने को कहा गया है। कंपनी ने कहा है कि सीके हचिसन इकाई इस कर मांग की वैधता को लेकर मतभेद रखती है। सीके हचिसन होल्डिंग्स लिमटेड की अप्रत्यक्ष रुप से पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई, हचिसन टेलिकॉम को भारतीय कर प्रशासन से 24 नवंबर 2016 को कर आकलन आदेश प्राप्त हुआ था। यह कर आकलन 2007 में कंपनी के वोडाफोन के साथ हुये सौदे में कथित लाभ पर भेजा गया।

कर विभाग ने 16,430 करोड़ रपये के इस सौदे से हासिल पूंजीगत लाभ पर 25 जनवरी को 7,900 करोड़ रुपये का आकलन भेजा था। अब इस राशि पर आयकर विभाग ने तीन जुलाई को करीब 7,900 करोड़ रपये का जुर्माना लगाने का आदेश जारी कर दिया। इसके अलावा करीब 16430 करोड़ रुपये के इंट्रेस्ट का दावा भी कंपनी के खिलाफ किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि यह अधिग्रहण भारत में कर लगाने योग्य नहीं है। इस लिहाज से कर मांग अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है। कंपनी ने कहा है, ‘इस लिहाज से कंपनी का यह मानना है कि इस कर मांग का कंपनी की वित्तीय स्थिति पर कोई असर नहीं होगा और न ही यह किसी अवधि के दौरान कंपनी के कामकाज अथवा परिणाम को प्रभावित करेगा।’ वोडफोन ने 2007 में हचिसन व्हाम्पोआ के मोबाइल फोन कारोबार में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। हचिसन व्हाम्पोआ अब सीके हचिसन का हिस्सा है।