आयशा फारूक – पाकिस्तान की इकलौती महिला फाइटर पायलट

हमें हर पल, दुनिया भर की महिलाओं की उपलब्धियों के बारे में नयी और चौंका देने वाली जानकारी मिलती है | लेकिन यह और चौंकाने वाला होता है अगर खबर पाकिस्तान से हो | क्योंकि वहाँ अधिकांश लड़कियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता है |

 

आयशा फारूक 24 अगस्त, 1987 को बहावलपुर शहर में पैदा हुई थी । आज, वह पाकिस्तान की एकमात्र महिला फाइटर पायलट है। यह एक बढ़ी उपलब्धि है, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आयशा फारूक छह महिला लड़ाकू पायलटों में, लड़ाई के लिए अंतिम परीक्षा पास करने वाली पहली महिला हैं । उनका बचपन उनके एक लड़ाकू पायलट बनने में सबसे बड़ा कारक था। इसमें कोई शक नहीं था कि वह एक दिन जेट पायलट बनेंगी, उन्होंने कहा।

 

आयशा जब तीन साल की थी तब उसके पिता जो एक डॉक्टर थे उनकी मौत हो गयी | इस अनुभव ने आयशा को उनके जीवन मैं आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए मजबूत और जुझारू बनाया | “मैं हमेशा अपने परिवार के लिए एक आदमी थी,” उसने कहा। “मेरे बचपन में ही मैंने मेरी छोटी बहन और मेरी माँ के लिए एक सुरक्षात्मक कौशल विकसित कर लिया था। मैं एक युवा सैनिक थी।”

 

आयशा निश्चित रूप से अपने पुरुष सहयोगियों के बीच कोई फर्क महसूस नहीं करती है। “यह एक काम है जिसको लोग महिलाओं के द्वारा किये जाना वाला नहीं समझते, इसलिए मैं अपने देश के लिए काम करने के साथ साथ लोगों के विचार भी बदल रही हूँ,”उसने कहा। “यह एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन मैं इसका आनंद लेती हूँ।” उसके साथी पायलटों उसको सभी के बराबर समझते हैं और वह अक्सर इस पर ध्यान नहीं देते कि वे किसके साथ उड़ रहे हैं।

 

उन्होंने खुद को शारीरिक और मानसिक रुप से अच्छी तरह तैयार किया है जिससे वह एक लड़ाकू पायलट के काम को बखूबी अंजाम दे सकें | आयशा लड़ाई के दौरान एक जेट में अकेले होने के बारे में भी चिंतित नहीं है। “जब मुझे आदेश मिलेगा मैं जाकर लडूंगी | मैं यह साबित करना चाहती हूँ कि मैं भी अपने देश के लिए कुछ कर सकती हूँ।” हर दिन, फारूक को उन लड़कियों की दर्जनों कॉल आती हैं जो उसके नक़्शे कदम पर चलना चाहती हैं | निश्चित रूप से, यह पाकिस्तान, जहां लड़कियों अभी भी शिक्षा पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं वहां यह एक बेहतरीन मॉडल है।
[ मूल लेख mvslim.com पर छपा था जिसका अनुवाद सियासत द्वारा किया गया है ]